*स्वयंसिद्धा* – नम्रता सरन “सोना”
“बहू,देखना ज़रा ये तुम्हारा फ़ोटो है क्या ? शरद बाबू ने अपनी बहू प्रमदा को एक बहुत पुराना सा अख़बार दिखाते हुए पूछा। “जी, बाबूजी, ये मेरा ही है”प्रमदा ने मुस्कुराते हुए कहा। “बहू, तुम विवाह के पूर्व लिखती भी थीं, और वह भी इतना अच्छा, कितनी अच्छी कहानी छपी है तुम्हारी” ससुर जी खुशी … Read more