*अबूझा रिश्ता* – सरला मेहता

यशोधराराजे ने एक  समारोह में जब से स्वर्णिमा को देखा, उसको भुला नहीं पा रही है। हिरनी सी आँखे, सुती हुई नासिका और कमर से नीचे झूलते केश। कंचन काया किसी जेवर की भी मोहताज़ नहीं। उसके सहज सरल स्वभाव की तारीफ़ करते पति से मन की बात कह डाली, ” शौर्यवीर की जीवनसंगिनी मुझे … Read more

माँ अब इस घर पर मेरा नहीं भाभी का हक है – सविता गोयल 

सुनैना जी  –  ” सुमन.., तू कब आ रही है यहाँ बेटा..?? ??,, सुमन  –   ” माँ अभी कुछ दिनों तक तो आ नहीं पाऊंगी। राघव पर काम का बहुत लोड है इस वक्त  ….. ।,, ” ओ हो सुमन ……. सावन आने वाला है..तेरी भाभी के लिए और अपने लिए कुछ साड़ियां भी … Read more

सपनों से समझौता – अनीता चेची

  पांच भाई बहनों में पहाड़ों के बीच छोटे से गांव में पली बढ़ी नीता का  आईएएस अधिकारी बनने का सपना  था। गांव में खारा पानी होने के कारण पीने का पानी  दूसरे गांव से लेने के लिए दूर जाना पड़ता था। पिताजी कृषि और पशुपालन का कार्य करते, इन सब असुविधाओं के बीच उसने ने … Read more

 कब तक – मधु शुक्ला

“भैया क्या आपके पास पाँच दस लाख रुपये नहीं हैं। छोटे भैया कितनी बार फोन लगा चुके हैं। उन्हें अपना कर्जा चुकाना है। आप कुछ जबाव ही नहीं देते। ”  गायत्री की बात सुनकर विकास चिढ़ कर बोला “तुम्हारे छोटे भैया को पैसा माँगने के सिवाय कुछ आता है क्या। कोई न कोई बहाना बना … Read more

“सोन पत्र”  – ऋतु अग्रवाल

  “ओफ्फोह! कितना काम पड़ा है? कोई भी उठने को तैयार नहीं है। लगातार आठ दिन के नवरात्रि के व्रत और फिर नवमी पर हलवा पूरी खा कर सब सुस्त और थक कर सोए हैं कि कोई भी उठने को तैयार नहीं है। अरे! बच्चों उठ जाओ, आज दशहरा है और दशहरे की सारी तैयारियाँ करने … Read more

हमारी याद – रमन शांडिल्य

“अरे! बेटा दीपू ! देखो कौन आया है , किसने डोर बैल बजाई है ।” दीपू आठवीं में हो गया है, मेरे कंधे से ऊपर जा चुका है, हां थोड़ा कमजोर जरूर है सेहत में भी, पढ़ाई में भी और घर के कामकाज में भी । मगर उसका सारा दिमाग और ध्यान फोन में जरूर … Read more

समझौता और समझ – बालेश्वर गुप्ता

 उद्विग्न रमेश ने निश्चय कर लिया कि वह आज रात को हर हाल में घर छोड़ देगा।उसे कही भी रहना पड़े,किसी भी आश्रम में, किसी भी तीर्थ स्थान पर,वह चला जायेगा या फिर उसे आत्म हत्या ही कर लेगा।      75 वर्षीय रमेश उसकी पत्नी जाह्नवी अपने बेटे मुन्ना के साथ ही रहते थे।मुन्ना और उसकी … Read more

*शकुनी* -मुकुन्द लाल

 जब तिलक अपनी बहन के घर पहुंँचा तो हाल-सामाचार व नास्ता-पानी की औपचारिकता के बाद उसने पूछा कि जीजाजी कहीं दिखलाई नहीं पड़ रहे हैं, तब उनकी बहन ने कहा कि उसके जीजा कुछ आवश्यक काम से बाज़ार गये हुए हैं। उसी समय उसके जीजा का छोटा भाई कोई सामान से भरा हुआ बड़ा सा … Read more

माँ को ऐसे ही रहना चाहिए – आभा अदीब राज़दान

“ अजीत जी के घर में देखा है तुमने, उन की अम्मा के कितने नखरे हैं । उनके घर जाओ तब जितनी देर बैठो वहां उन की अम्मा जी ड्राइंग रूम में बैठी ही रहती हैं । अजीत जी भी अपनी माँ से कुछ कहते नहीं । अधिक ही सम्मान करते हैं उनका । हर … Read more

बरगद की चुड़ैल – सौम्या मिश्रा जौहरी 

कोख़ में पाला था उसने और …रात दिन जागी भी थी….सब कहते पगली थी…! जब भी उस बरगद के तिराहे से निकलता था बस उसको गंदे और फटे कपड़ों में विशाल बरगद के नीचे बने मंदिर के बरामदे में पाया। मां के मुख से सुना था , पूजा करती औरतों से कहती थीं…”न जाने किस … Read more

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