उलझन – संगीता त्रिपाठी
सुबह वैभव को बस स्टॉप पर छोड़ने गई तो देखा बगल वाले घर का मुख्य दरवाजा खुला था। “अरे शुभा आंटी तो पांच महीने के लिये बेटे के पास गई थी, इतनी जल्दी कैसे आ गई “मन ही मन तर्क -वितर्क करते मै शुभा आंटी के घर की घंटी बजा दी। सामने अस्त -व्यस्त सी … Read more