गुरु दक्षिणा – विजया डालमिया

“भैया, रुद्रप्रयाग चलोगे क्या”? इस आवाज ने देविका को पलट कर देखने पर मजबूर कर दिया ।यह वह आवाज थी जिसे वह लाखों में भी पहचान सकती थी । एक आड़ में छुप कर वह उसे देखने लगी। टैक्सी वाले के मना करने पर वह आगे बढ़ने  लगा ।उसने देखा…” हाँ वही है ।आज भी … Read more

बेटियाँ ससुराल में सुख से रहे। तो माँ के कलेजे को ठंडक मिल जाती है –  ज्योति आहूजा

केशव ये कुछ खाने पीने का सामान ले आओगे बाजार से आप प्लीज? मां ढाई साल बाद हमारे पास कुछ दिन रहने आ रही है वो भी कितना बुलाने के बाद! पापा को गुजरे एक साल हो गया केशव! उनके अचानक जाने के बाद उनका जीवन मानो रुक सा गया है! उनके सारे शौक ख़त्म … Read more

सरप्राइस – विजया डालमिया

कृति सज धज कर बड़ी बेकरारी से कृष का इंतजार कर रही थी।साल भर पहले ही तो दोनों मिले थे ।अपनी पहली मुलाकात को जब कभी भी वह याद करती तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती ।झगड़े से शुरू हुई मुलाकात आज गहरे प्यार में तब्दील हो चुकी थी। कृति थोड़ी अक्खड़ और जिद्दी … Read more

मेरी हार हुई है या जीत – के कामेश्वरी

अपूर्वा एम सी ए की फ़ीस जमा करने के लिए ऑफिस के पास खड़ी थी । उसी समय एक लड़की पीछे से आई और अपूर्वा से पूछा कि एम सी ए की फ़ीस यहीं पर जमा कराना है क्या ।अपूर्वा ने पीछे मुड़कर देखा तो एक सीधी सादी गँवार टाइप की लड़की खड़ी हुई दिखी … Read more

 कहीं बहू बेटे हमसे दूर न हो जाए••••• – अमिता कुचया

आज फिर रोज की तरह डिनर के बाद डाइनिंग टेबल पर सुरेश जी ,सुधा जी, अपने बेटे बहू साहिल और श्रृद्धा के साथ तो थे।पर मन से साथ नहीं थे। साथ बैठकर खाना खाने की औपचारिकता पूरी कर रहे था। सन्नाटा पसरा हुआ था ।तनावपूर्ण माहौल में श्रृद्धा ने चुप्पी तोड़ते हुए  पूछा, मम्मी जी … Read more

 समझौता” – नीति सक्सेना

आज दोपहर  मां का फोन आने के बाद से ही शुभ्रा बड़ी अनमनी सी,थोड़ी उदास सी थी। मां ने ही फोन पर उसे बताया था कि उसकी सबसे छोटी मौसी अल्पा की बेटी रूमी का  तलाक होने जा रहा था।सुन कर हैरान रह गई थी वह। पिछले वर्ष ही तो बड़ी धूमधाम से रूमी की … Read more

स्वावलंबन – आभा अदीब राज़दान

दरवाज़े की घंटी बजी तो निर्मला जी ने जाकर दरवाज़ा खोल दिया । सुप्रिया थी, निर्मला जी के ब्लॉक में ही रहती है । निर्मला जी अरविंद जी वरिष्ठ नागरिक हैं, रिटायरमेंट के बाद अपना बड़ा घर बेंच कर अब इसी सोसायटी में रहते हैं । दोंनों बच्चे नलिन व इला भी तसल्ली से हैं … Read more

” ज़िंदगी से लड़कर कथिर से कुंदन बन गई” – भावना ठाकर ‘भावु’ 

वंदना आज कलेक्टर की कुर्सी संभालने जा रही थी, उस सम्मान में एक समारोह रखा गया। पूरा हाॅल बड़े-बड़े  अधिकारियों और कुछ रिश्तेदारों से खिचोखिच भरा हुआ था। वंदना खोई-खोई दोहरे भाव से जूझ रही थी गरीबी, ससुराल वालों की प्रताड़ना घर-घर जाकर खाना बनाकर पाई-पाई जोड़कर पढ़ना वगैरहे एक-एक घटना किसी फ़िल्म की तरह … Read more

नयी पहचान – स्मृति श्रीवास्तव

प्रिया 3 बहनों में सबसे बड़ी दीनदयाल और रमा जी की बेटी | दीनदयाल जी को तो लड़का चाहिए था पर कहते हैं ना कुछ चीजें ऊपर वाले के हाथ होती हैं | उसे और उसकी बहनो रीमा और आरती को कभी पिता से प्यार मिला ही नहीं , माँ भी डरती थी पिताजी के … Read more

अमानत – डा. मधु आंधीवाल

———– दामिनी की दोनों छोटी बहनें पारुल और जया उसके कंधे पर सिर रख कर सुबक रही थीं । एक मां ही तो सहारा थी तीनों की आज उसकी भी विदाई हो गयी । दामिनी की आंखों के आंसू तो जैसे अन्दर बर्फ़ की तरह जम गये थे । कैसे अपनी मां की इन अमानतों … Read more

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