जीवन की सँध्या बेला-सीमा वर्मा

” बवँडर ” यानी मृगतृष्णा का नाच आप सबने देखा होगा ? । मेरी अम्मा कहती थीं वह गर्मी की दुपहरिया में नाचती है और नाचते – नाचते सामने जो आता है उसे दो फाड़ कर देती है ठीक वैसे ही जैसे मेरी अम्मा और पिताजी हो गए ।              आज उस दुष्ट लड़के सुरेश ने … Read more

पराई बेटियां – आरती रॉय

पिताजी के गुजर जाने के बाद सोनम कब पापा की जगह ले ली उसे पता ही नहीं चला । खुबसूरती खुद्दारी में बदल गई , दो दो भाईयों की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी ,ओवरटाइम करते करते पैसा कमाने में मशीन बन गई । माँ भी पापा के जाने के बाद , जैसे जिंदगी का जुआ … Read more

नन्ही शबरी -मीनाक्षी चौहान

घर में आज पूजा है। माँ जी ने प्रसाद बनाने का जिम्मा मुझे सौंप दिया। खुद की तबियत ठीक नहीं है। हाथ नहीं लगा सकतीं इसलिए। जुटी हुई हैं कामवाली दीदी के साथ, लोगों के आने से पहले इधर सजाने उधर समेटने में। और ये कामवाली दीदी भी ना……इतना काम फैला है आज और ये … Read more

लुटेरा कहीं का -मीनाक्षी चौहान

दो घन्टे के सफ़र में चार घन्टे लगा दिए, खटारा बस ने। पत्नी और बच्चों के साथ उनकी मौसी के घर से वापस आ रहा था। अपने शहर पहुँचते-पहुँचते रात के ग्यारह बज गए। दोनों बच्चे भूखे और निंदियासे हो रहे थे। एक बड़ा सा रेस्टोरेंट दिखा भी पर उनमें जाने की इजाजत जेब ने … Read more

मैं भी तो उसकी माँ हूँ -नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी, मैं जाऊँ क्या? वहाँ प्रोग्राम शुरू होने वाला है। दो बार फ़ोन आ चुका है।” “अरे हाँ बेटा! मैं तो भूल ही गई थी। ड्राइवर आया या नहीं?” “जी मम्मी, वो आ गया है।” माधवी जी की परम मित्र सुलेखा जी उन सबसे मिलने आई हुई थीं। वो इन सास बहू की बातचीत … Read more

स्वार्थ या प्रेम- एक सबक Blog post by Govind Gupta

अचानक तालियों के शोर से सभागार गूंजने लगा पैदल जाते हुये कुछ लगा कि देखे क्या हो रहा है मैं भी हाल में चला गया हम समझे कि कोई नेता का स्वागत हो रहा होगा पर यह क्या एक युवा सुंदर लड़की की शादी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से हो रही थी,थोड़ी उत्सुकता और … Read more

भाभी के समान पर हक – विनिता मोहता

नीति की नई नई शादी हुई थी, ससुराल भी ज्यादा बड़ा नहीं था सास ससुर और एक कुंवारी ननंद. नीति  को ससुराल में एडजस्ट होने में ज्यादा टाइम नहीं लगा. घर पर सारे काम वाले थे तो अपने ऑफिस के काम के साथ-साथ किचन का काम नीति अकेले ही संभाल लेती थी .अब उसकी सास … Read more

संयुक्त परिवार की बहू – संगीता अग्रवाल

रजनी की शादी में कुछ ही दिन बचे थे. शादी की शॉपिंग से लेकर पार्लर तक सब कुछ बुक हो चुका था. मगर उसके मन में अजीब सी बेचैनी और घबराहट घर कर गई थी, जिसके कारण वह हर वक्त उदास रहने लगी. उसकी मां ने जब उसका उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसे अपने … Read more

मेरा पति आपका बेटा भी है – Blog Post by Anupma

नई नई शादी हुई थी सोनल की , अभी बस 10 महीने ही तो हुए थे और वो 6 महीने की गर्भवती भी थी।  घर मैं बहुत जोर शोर था बहुत उल्लास था सासु मां जी के मायके मैं शादी जो थी उनकी प्रिय भतीजी की सभी लोग जाने की त्यारिओं मैं व्यस्त थे , … Read more

थोड़ा सा सम्मान – Blog Post by Anupma

सरोज की शादी को अभी दो महीने ही हुए थे की घर फिर से दुल्हन की तरह सजने लगा था सभी लोग दौड़ दौड़ कर सारे काम निपटाने मैं लगे हुए थे , चारो ओर खुशी का माहौल था , दो दिन बाद ही सरोज की ननद की शादी थी और ये सब उसके ही … Read more

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