मायका – अनामिका मिश्रा

#मायका मधु दो वर्षों से मायके नहीं जा सकी थी। इस बार उसने सोचा कि वो मायके जरूर जाएगी। उसकी मां ने फोन में कहा, “इस बार तो तू आ रही है न! “ मधु ने कहा,”मैं जरूर आऊंगी, पिछले साल मां जी की तबीयत खराब थी,और उसके पिछले साल  दोनों दीदी आ गईं थीं, … Read more

मायके जैसा ससुराल – नील सिंघल

अमन बहुत खुश था आज फिर प्रीति ने मायके जाने का नाम लिया था, प्रीति के मायके जाने के नाम पर अमन हमेशा खुशी से नाचता था क्यूंकि वो खुद हर बार साथ जाता और मन मर्जी मेहमान नवाजी करवाता था,  प्रीति की अपनी माँ से बात करने की इच्छा मन मे रह जाती थी … Read more

बिन मैहर मोहे ठौर नहीं – सरला मेहता

New Project 86

#मायका चन्दन सेठजी व माधुरी की सर्वगुण सम्पन्न बेटी सुष्मिता की अपने घर में खूब चलती है। चले भी क्यूँ ना, छोटा भाई श्रवण ठहरा सीधा सा व शांत प्रकृति वाला। कोई भी उसे बुद्धू बना सकता है।  लोगों ने दबी ज़ुबान में उसे गोबर गणेश ही नाम दे दिया। सेठ जी अक्सर सेठानी को … Read more

 अपनापन – रणजीत सिंह भाटिया

#मायका  अमेरिका आए 33 वर्ष गुजर गए समय कैसे पंख लगाकर उड़ गया पता ही नहीं चला l       आज भी वह दिन याद है,जब अपनी पत्नी किरण और अपनी तीन बेटियों को साथ लेकर अपने सास और ससुर जी के साथ यहां आया था l हमारे विज़ा और टिकटों का सारा खर्चा उन्होंने ही उठाया … Read more

डाइनिंग टेबल – कंचन श्रीवास्तव

डाइनिंग टेबल पर एक साथ खाना खाने के लिए बैठे सबको  देख रेखा की आंखें झलक आई जिसे सिर्फ सामने बैठे सुनील ने देखा। पर चुप रहे क्योंकि बात सिर्फ उसके और उसके पत्नी के बीच की थी इसलिए सबके जाने और उसके बेड पर आने का इंतजार किया। आते ही एक नज़र उस पर … Read more

कविता की कहानी – भगवती सक्सेना गौड़

“अरे , सुनो कविता, क्या स्वाद है तुम्हारे हाथ के खाने में, सरसों वाली मछली में तो मज़ा ही आ गया, शायद ही कोई फाइव स्टार होटल में ऐसा शेफ होगा जो ऐसी स्वादिष्ट तेज़ डिशेस बनाये।” बोलते बोलते अक्षय रसोई में पहुँचे, “हाथ कहाँ है, तुम्हारे और फिर …….” “उई मा, क्या कर रहे, … Read more

तीसरी बेटी – रीटा मक्कड़

“मम्मी कहाँ हो आप,जल्दी से मुंह मीठा कराओ आज पहला दिन है न मेरे ड्यूटी जॉइन करने का..” जैसे ही अनिता ने अपनी बिटिया के मुँह में दही चीनी डाली उसने अनिता के पांव छू लिए ..साथ ही अपने पापा के भी। “अरे नही बिटिया..हमारे में बेटियां पांव नही छूती.. बस गले लग कर मां … Read more

“मेरा घर” – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

New Project 87

#मायका “माँ” बैठक में ही चावल लेकर चुनने के लिए बैठ गई थी। तभी मेन गेट की घंटी बजी। उन्होंने वहीं  से पूछ लिया- कौन है? कोई आवाज नहीं आई। वह सोचने लगी कि  पता नहीं कौन हो सकता है अभी दोपहर के समय। दोनों बाप-बेटे तो घर में ही हैं तो फिर कौन आया? … Read more

मैं मायके चली जाऊँगी – विनोद सिन्हा “सुदामा”

New Project 88

“शांति” मेरी धर्मपत्नी का शुभ नाम.. जाने क्या सूझा या क्या सोच माता पिता ने शांति नाम रखा… शादी के दस साल बाद भी समझ नहीं पाया…रूप एवं स्वभाव से बिल्कुल विपरीत और अलहदा.. वैसे तो मेरी धर्मपत्नी… किसी चंद्रमुखी से कम नहीं..लेकिन न तो कभी चंद्रमुखी दिखी मुझे.. और न ही कभी शांत रहने … Read more

मायका टूरिस्ट प्लेस – उर्मिला प्रसाद

बात उन दिनों की है जब मां गाँव में रहा करती थीं और हम छह महीने बाद- बाद उनसे मिलने जाया करते थे। मां को जब खबर होती थी कि मैं ससुराल से  आने वाली हूँ तो जिस दिन से खबर मिलती उसी दिन से वो हमारी राह देखने लगती थी। किस दिन कौन सा  … Read more

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