उपहार- मनवीन कौर

शांता बाई मेरे आने से पहले ही ऑफ़िस झाड़ पोंछ कर तैयार रखती थी ।सुगंधित ताजे फूलों का गुलदस्ता मेरा स्वागत करता नज़र आता। मेरे आते ही अभिवादन कर अलमारी से फ़ाइल निकाल  कर मेज़ पर रख देती थी ।कोई काम कहो ,”जी मेडम ,”कह कर  तुरंत काम में लग जाती । बड़ी प्यारी  बच्ची … Read more

संजीवनी बूटी सा मायका — डॉ उर्मिला शर्मा

New Project 68

ट्रैन से उतरकर नम्रता ने आंखों में गहरे उतार लेने वाली नजरों से प्लेटफार्म को देखा। मन एकसाथ घोर अपनापन और परायापन दोनों से भर उठा। यह उसका अपना शहर, अपना मायका है। वह यहां एक दिन के लिए एक सेमिनार में आई थी। घर से निकलते समय पड़ोसन शिल्पा ने उसे लगेज के साथ … Read more

सुकून – अनामिका मिश्रा

New Project 69

रिया . ..रिया ..अजय ने आवाज लगाया। रिया मोबाइल में व्यस्त थी। पास आकर अजय ने कहा,”कब से आवाज लगा रहा हूं,..रिया बाबूजी को चाय बना कर दो,..हर समय मोबाइल में व्यस्त रहती हो…आखिर क्या ऐसा करती हो समझ में नहीं आ रहा! “ रिया ने भी कहा, “क्या करती हूं, अपने सारे काम निपटा … Read more

मां की ममता की छांव में(भाग,दो) – सुषमा यादव

भाग 1  सावन में पड़े जब झूले,, भाई ना बहना को भूले, ,,भाग एक में आपने,,शहर के मायके का टूरिस्ट प्लेस पढ़ा,,, अब आप गांव के मायके का टूरिस्ट प्लेस पढ़िए,, ज़ी हां,सच में मायका एक बेटी के लिए टूरिस्ट प्लेस ही होता है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा,, क्यों कि वहां स्वागत , सेवा सत्कार … Read more

काजू -कमलेश राणा

New Project 41

बचपन में कुछ घटनाएं ऐसी घट जाती हैं जो ताउम्र याद रहतीं हैं। उस समय मेरी उम्र लगभग चार वर्ष थी।पापा की पोस्टिंग उन दिनों छिन्दवाड़ा में थी। उन दिनों आज जैसा माहौल नहीं था।जीवन बहुत ही सरल था। एक दिन हम 4-5बच्चे शाम के समय खेल रहे थे।जब घर आये तो सभी को उल्टियाँ … Read more

मायका – साधना भटनागर

‘ मायका ‘शब्द सुनते ही मन बाग-बाग होने लगता है।’मायका’ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लड़कियों में कोई न कोई भाव अवश्य ही आता है।किसी का मीठा ,किसी का खट्टा,किसी का कड़वा।यादों से भरपूर होता है ‘मायका’।जहाँ हमने आयु के हर बसन्त  देखे होते हैं।सब लड़कियों ने परिस्तिथियों के अनुसार जीवन बिताया होता … Read more

मेरी संजीवनी बूटी – लतिका श्रीवास्तव : Short Moral Stories in Hindi

New Project 40

 लक्ष्मण जी की मूर्च्छा को जीवन देने वाली संजीवनी बूटी थी मां ,और मैं जानता हूं प्रिया की संजीवनी बूटी मां आप सब हो….अविनाश अपनी सास यानी प्रिया की मां से  बहुत आत्मीयता से मोबाइल में बात कर रहा था…इतने में प्रिया ने पीछे से आकर हंसकर कहा अच्छा जी तो फिर तुम्हारे हनुमान बनने … Read more

कशमकश – रीटा मक्कड़

“आंटी ये लो प्रशाद”अनिता ने पीछे मुड़ कर देखा तो दरवाजे से अभी अंदर आयी थी मीरा..   मीरा अनिता के घर मे पिछले सात आठ महीने से काम कर रही थी। आज पहली बार उसने मीरा को इतनी सजी धजी और खुश देखा था। रंग बिरंगी कढ़ाई वाली साड़ी, बड़े से झुमके ,हाथ मे … Read more

महत्व – कंचन श्रीवास्तव

****   माना काम का विशेष महत्व है जीवन में पर ये तब और बढ़ जाता है जब मन का हो। वैसे तो संतुष्टि शब्द है ही नहीं जीवन में क्योंकि अनंत इच्छाओं के मकड़जाल में फंसा है आदमी।अब इन्हें ही ले लो पचास पूरा करते करते जाने कितनी नौकरियां बदले,जाने क्या है कि कहीं … Read more

सामान्य समझ – तरन्नुम तन्हा

नई नई शादी होकर घर में आई थी मैं। ‘एम ए बी एड है बहू मेरी’, मेरे ससुर साहब तो सबसे मेरी तारीफ़ करते, लेकिन घर में मेरी सासुमाँ हर समय बुराई ही करतीं, ‘इसे ये नहीं आता, इसे वो नहीं आता’। ससुर जी चुप रह जाते, और मैं खुद को समझाती, ‘अगली बार और … Read more

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