अनदेखा प्यार – गोविन्द गुप्ता 

राघव जो कभी भी ऑनलाइन प्लेटफार्म की ओर गया ही नही शोशल मीडिया से दूर रहने का ही मन करता था उसका, पर दोस्तो के कहने पर फेसबुक आईडी बना ली और वाट्सअप भी इनस्टॉल कर लिया तो धीरे धीरे पोस्ट लाइक कमेंट्स होने लगे अनजाने दोस्तो से दोस्ती अच्छी लगनी लगी खुद की सेल्फी … Read more

” एहसास-मंद ” – सीमा वर्मा 

मैं ‘रोहिणी’ लगातार सैंतीस बर्ष तक एक प्रधानअध्यापिका के रूप में  सफलतापूर्वक कार्य करती हुई सेवानिवृत्त हुई हूँ । घर में बच्चे , बेटे और बहुऐं सभी बहुत खुश थे। अब मम्मी को आराम मिलेगा।  बड़े से संयुक्त परिवार में मुझे एक साथ घर और बाहर की जिम्मेदारी संभालते हुए देखते हुए ही वे बड़े … Read more

अनसुलझे सवाल – अनु “इंदु”

“खुल कर बताओ मनीषा क्या हुआ ? मैं तुम्हारी डॉक्टर हूँ “डॉक्टर नीरजा ने मनीषा से कहा। मनीषा को समझ में नहीँ आ रहा था कि वो उसे क्या बताये , कैसे बताये कि कल रात  उसके अपने पति ने उसके साथ जबरन शारीरिक सम्बन्ध बनाये जिसके कारण उसका शरीर ही नहीँ मन भी घायल … Read more

हम भी है इंसान,, – गोविन्द गुप्ता 

सुनयना अपने मम्मी पापा की इंकलौती संतान थी,पढ़ने में बहुत तेज थी,बचपन से विश्वविद्यालय तक प्रथम डिवीजन आती थी , ढेरो प्रमाणपत्र ब सम्मान अलमारी में सजे थे, पिता आशीष बहुत खुश थे और माता श्रीदेवी की लाडो तो थी ही, उच्च शिक्षा हेतु जब बात चली तो डॉक्टर बनने का मन था सुनयना का, … Read more

विवाह-गरिमा जैन 

निशा बेटा चाय पियोगे “ “हां मम्मी जी मैं बना रही हूं “ “अरे नहीं तुम बैठो मैं बना लेती हूं रोज़ तुम ही मुझे चाय पिलाती हो” “कोई नहीं मम्मी मैं फ्री हूं मैं चाय बना कर लाती हूं फिर बैठे गप्पे मारे जाएंगे” ” हां निशा तुमसे कुछ बहुत जरूरी बात करनी है” … Read more

ख्वाब – गरिमा जैन 

रचना बहुत खुश थी  उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था। जैसा उसने चाहा उस से बढ़कर ही जीवन साथी उसे मिला था ।अच्छा कमाता था ,देखने में खूबसूरत ,अपना घर गाड़ी वह सब चीज जो रचना हमेशा से ख्वाहिश करती थी। रचना के पिता पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे उनकी तनख्वाह यही कोई … Read more

“परिवर्तन” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

आज “अम्मा” सुबह से ही बहुत खुश थी ! दौड़-दौड़कर सारे घर की सफाई कर रही थी। बेड-बिछावन झाड़- पोछ्कर साफ-सुथरा चादर बिछा दिया । फिर किचेन में आ गई बेटे की पसंद का खाना बनाने। लगभग पन्द्रह दिन बाद बेटा हॉस्पीटल से आ रहा था।  “कोरोना” ने उसे अपने चपेट में ले लिया था। … Read more

रिश्तों की घुटन…. नीलिमा सिंघल

वृंदा बहुत परेशान थी आजकल किसी से कुछ कह भी नहीं पा रही थी, कुशाग्र उसका 24 साल का बेटा रोज लड़खड़ाते कदमों से घर आ रहा था खाना कभी खाता कभी नहीं, किसी से बात नहीं करता, रोज सुबह बाहर जाता और देर रात घर आता, वृंदा ने बहुत बार कोशिश की राजीव (अपने … Read more

“कोई जरूरत नहीं” –  राम मोहन गुप्त

( बैरी पिया बड़ा रे बेदर्दी ) ‘अब बस भी करो, सुबह से लेकर शाम तक एक ही रट लगाए रहती हो… अब मुझ से नहीं होता, किसी को लगा लो।’ कहते-कहते समीर, सुनैना पर बरस पड़ा और क्यों न बरसता आये दिन सुनैना की एक ही रट सुनते-सुनते थक जो गया था वह। यूँ … Read more

वस्तु नहीं हूं मैं – डॉ उर्मिला शर्मा

 नववधु कविता को ससुराल आए तीन-चार दिन ही हुए होंगे । मायके में सबसे छोटी व सबकी लाडली वह दुनियादारी ज्यादा कुछ वाकिफ न थी। किस्सों, कहानियों या चलचित्र की रंगीन सपनीली दुनिया सा ख्याल था उसका विवाहित जीवन को लेकर । मध्यम कद की, मध्यम रंग की छरहरी काया,  लंबे घने काले केश, भोली- … Read more

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