मंजू माँ – मौसमी चन्द्रा
डोरबेल बजाने के साथ दरवाजा भी थपथपाया जा रहा था। मैं समझ गयी हमारी मेड होगी। इतनी जल्दबाजी उसे ही रहती है फिर भी आदतन मैंने होल से झांका तो वही खड़ी दिखाई दी। मुझे हँसी आयी उसका पका चेहरा देखकर! दरवाजा खोलते ही उसका जोरदार प्रश्न- “हेतना देरी काहे लगा देहलू?” “सो रही थी” … Read more