कर्ज़- विनय कुमार मिश्रा
“माँ! गाँव की बड़की माई शायद अब अलग खाना बनाने लगी हैं, बीमार भी रहने लगी हैं, सूरज है यहां अपने गांव का, वही बता रहा था” बेटे ने ऑफिस से आते,एक खबर की तरह बड़े ही आराम से कहा था कल, पर मेरे दिल में एक हलचल सी मच गई, उनसे मिलने की “अरुण! … Read more