मेरी बेटियां – प्रीती सक्सेना

#बेटियां _हमारा _स्वाभिमान  ,    बेटी,,, शब्द सुनते ही होठों पर मुस्कान आ जाती है, क्योंकि, मां का प्रतिबिम्ब होती है बेटी,,, जितना एक बेटे का,, परिवार में होना जरुरी है,, उतना ही परिवार को पूर्ण करने हेतु बेटी का होना जरुरी है,, पिता की शान है ,,, भाई की आन है बहन,,और मां की आत्मा … Read more

सुख की परिभाषा – निभा राजीव “निर्वी”

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“अब क्या बताऊं तुझे, कल रात से ही मूड खराब है मेरा। चल माना, कि अमित बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट नहीं है पर एक अच्छा खासा बिजनेस तो है ही उसका। और ऐसा क्या मैंने चांद तारे लाने को बोल दिया। इतना ही तो कहा था कि एक हल्का सा हीरों का सेट दिला दो जन्मदिन … Read more

प्रहार एक प्रतिभा पर – ज्योति अप्रतिम

निमिषा आज अत्यधिक उदास थी। रह रह कर आँखें भर कर आ रहीं थीं।पिछले दो सालों का घटनाक्रम उसकी दिमाग में चलचित्र की तरह घूम रहा था। मैडम ,मेरी दो साल की ट्रेनिंग कम्पलीट होने या रही है।मुझे यहाँ नौकरी मिल जाएगी न ! ओह यस !योर अपॉइंटमेंट इज़ श्योर।लेट द रिजल्ट बी डिक्लेअर्ड एंड … Read more

भिखारी कौन? – अनुज सारस्वत

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*********** “हे भगवान मेरा रोड का टेंडर पास हो जाये,मेरी बेटी की शादी मिनिस्टर के बेटे से हो जाये और मेरे बेटे को इलेक्शन का टिकट मिल जाये तो101 का प्रसाद चढांऊगा,सारी मनोकामनाएं पूर्ण करो भगवान “ मठठू सेठ मंदिर में खड़े होकर प्रार्थना कर रहा था यह,पूर्ण होने के बाद पंडित जी को अकड़ … Read more

समधन के चरण – ज्योति अप्रतिम

************** क्या बात है बहू ,जब हम तुम्हारे घर पहुंचे तो न तो तुम्हारी मम्मी हमें लिवाने आईं न ही उन्होंने हमारे पैर छुए। ओह मम्मीजी! लिवाने तो इसलिए नहीं आ पाई होंगी कि साथ पापाजी भी थे न!अब वे अपने समधी  से कहाँ बात करती हैं ? आप कह रही हैं कि उन्होंने आपके … Read more

एक थी सरु – बरखा शुक्ला

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ये कहानी है मेरी मनोरमा मतलब मनो और मेरी सखी सरला याने सरु की । सच कहूँ तो ये सरु की कहानी है ,बस कह मैं रही हूँ ।हम दोनो बचपन की सहेलियाँ और पड़ोसी भी । साथ साथ पढ़ते अब बी .ए . कर रहे थे । ज़ाहिर है साथ ही कॉलेज जाते ,बी.ए … Read more

गुलमोहर ख़ुश है –  बरखा शुक्ला

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ससुराल से आयी दीदी की बातों का सिलसिला सुबह से ही चल रहा था ,माँ अपनी दो महीने पहले विदा हुई बेटी से ससुराल की सारी बातें उत्सुकता से सुन रही थी ।चाय पीते जूही के कान भी वही लगे हुए थे ,क्योंकि वो तो कुछ ओर ही सुनने को उत्सुक थी । तभी दीदी … Read more

“देवी का असली रूप” – पूनम वर्मा

आज नवरात्रि की पहली पूजा थी । मिसेज शर्मा सुबह से ही पूजा की तैयारी में लगी हुई थीं । बहू-बेटियाँ भी उनका सहयोग कर रही थीं । शर्माजी के  पूजा पर बैठने से पहले सारी तैयारी हो जानी चाहिए थी । शर्माजी वैसे तो बहुत पुजेरी नहीं थे, पर नवरात्रि की पूजा बड़े धूमधाम … Read more

 इक दूजे की रजामंदी – मुकुन्द लाल

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  ” हे ईश्वर यह क्या हो गया?… अब मेरी बेटी चित्रा का क्या होगा?” घर में प्रवेश करते ही सुनील ने कहा। “  ” इतना घबराये हुए क्यों हैं? … क्या हो गया?… “  ” किस्मत फूट गई… “  ” कुछ साफ-साफ बोलिए… “  ” होने वाले दामाद का बांया हाथ कट गया। “   दो … Read more

अहिल्याबाई – सरला मेहता

अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ था। पिता मन्कोजी राव शिंदे गाँव के पाटिल थे और माता                               । उस ज़माने में बालिका अहिल्या स्कूल जाती थी। उनका विवाह इंदौर के संस्थापक सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। उनकी विद्वता देखकर मल्हारराव जी ने … Read more

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