माटी की गुड़िया – गुरविंदर टूटेजा

   अनुजा क्या कर रही हो…हर काम इतना धीरे करती हो…अपर्णा ने अपनी छोटी बहन को चिल्लाकर बोला..!!     इतने में छोटा भाई अर्पित भी चालू हो गया दीदी आप भी कहाँ सिर फोड़ रही हो इनसे कभी कुछ हुआ है जो आज होगा…कोई उम्मीद करना ही बेकार है…उधर अनुजा कच्ची मिट्टी की गुड़िया सी सबकी बातें … Read more

स्त्री और फूल  – कमलेश राणा

आज सुबह जब फूल लेने गई,,बगीचे में तो देखा,,आज तो बहुत सारे फूल खिले हैं,,मन खुश हो गया,,अरे वाह!आज तो कान्हा जी बड़े सुन्दर लगेंगे इनसे सजकर,, मैं फूल तोड़ने लगी तो सहसा एक फूल मेरी पकड़ सही न होने के कारण नीचे गिर गया,,,और एकाएक मैने उस फूल को उठा कर अलग कर दिया … Read more

मेरी बेटी, मेरा जहान – मीना माहेश्वरी

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शादी के एक साल के बाद ही ईश्वर ने मेरी झोली खुशियों से भर दी, एक प्यारे से बेटे की किलकारियों से मेरा घर आंगन चहक उठा। परिस्थितियां थोड़ी कमज़ोर थी, आर्थिक परेशानियां और पारिवारिक जिम्मेदारियां बहुत थी। फिर भी हम दोनों खुशी_ खुशी पूरी लगन और मेहनत से सब कुछ मैनेज कर रहे थे। … Read more

“मेरी चाहतें” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

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Moral stories in hindi  : अपने बड़े से हवेली जैसे घर में बिनोद बाबू अपनी पत्नी सुधा जी के साथ फिलहाल अकेले हैं। कहने का मतलब है कि बेटियों की शादी हो चुकी है ।दोनों बेटों में से एक विदेश में सेटल है और दूसरा बंगलूर में इंजीनियर है। वही कभी-कभी पर्व- त्योहार में आ … Read more

गरम चिमटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

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Moral stories in hindi  : नमिता बहुत व्यथित थी आज…..कुंठित सी हो रही थी आपने आप में… ये अक्सर मेरे साथ ही क्यों होता है….क्या सोचती हूं और क्या हो जाता है…! हर बार स्वयं को लानत भेजती हूं …हर बार ये संकल्प दुहराती हूं … कि अब किसी से कुछ नही कहूंगी जिसको जो … Read more

आ अब लौट चलें – प्रेम बजाज : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : बस सतीश अब बहुत हुआ , अब और नहीं , पाँच साल हो गऐ हमें अपने बच्चों से , अपने परिवार से बिछुड़े , मैं अपने बच्चो के बिना अब और नहीं रह सकती” ” नीलु  तुम क्या समझती हो कि मैं बच्चों के बिना रह सकता हूँ या माँ … Read more

तुम पराया धन नही मेरा स्वाभिमान हो – अनुपमा

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शुभी का फोन बज रहा था , उठा ही नही पा रही थी , सुबह सुबह इतना काम होता है ना घर मैं ,आकाश देख भी रहा था फिर भी उसने न ही तो फोन देखा न ही उसे लाकर दिया । खैर फ्री हो कर शुभी ने अपना फोन चेक किया सबसे पहले , … Read more

रोटी ने कहा – देवेंद्र कुमार

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ढाबे में सुबह से आधी रात तक हाड़ तोड़ मेहनत करते हुए भोलू लगातार एक ही बात सोचता रहता है-आखिर मालिक रामदीन उसी पर इतना गुस्सा क्यों करता है। भोलू को उसका चाचा रामदीन के पास छोड़ गया था। भोलू की माँ गाँव में अकेली रहती है। भोलू के पिता नहीं रहे,रोटी का जुगाड़ मुश्किल … Read more

दूसरी संतान – पायल माहेश्वरी

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रेवती को चिंता के साथ-साथ बहुत डर भी लग रहा था क्योंकि उसकी दूसरी संतान भी लड़की थी। ” इतना मत सोचो रेवती !! इस वक्त तुम्हारी सेहत पर असर पड़ेगा” डाॅक्टर नम्रता ने रेवती को समझाया। पर रेवती अनवरत रो रही थी” आप नहीं जानती डाॅक्टर नम्रता अभी मेरे ससुराल वाले मुझसे बुरा व्यवहार … Read more

कभी नहीं – -देवेंद्र कुमार

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=========== रविवार को छोड़ कर बाकी हर सुबह भागमभाग से भरी होती है—खास तौर पर बेला के लिए। वह कई घरों में सफाई का काम करती थी, और हर परिवार चाहता था कि सबसे पहले बेला उनके घर में सफाई का काम पूरा करे। इसलिए वह हर समय हडबडी में रहती थी। काम पूरा करते … Read more

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