दिल का रिश्ता – उमा वर्मा

पता नहीं था कि वह अचानक  यूँ मिल जायेगा ।फेसबुक टटोलते अचानक फ्रेंड रिक्वेस्ट में आ गया वह ।और फिर हाय, हैलो से हमारी बात का सिलसिला शुरू हो गया ।वाट्स एप के जरिए ।मैं भी तो बचपन से लेकर कालेज के दिनों में जीने लगी थी ।वह हमारे सामने के मकान में रहता था … Read more

हमारी अनोखी मित्रता – पायल माहेश्वरी

  हर साल जब मायके जाने की आती हैं बारी मन में खिल जाती नवीन खुशियों की फुलवारी !!   मायके का लगाव उम्र के किसी भी पड़ाव पर कम नहीं होता हैं और  बचपन की अनगिनत अच्छी बुरी यादें मायके में जाकर फिर जीवन्त हो उठती हैं।      इस साल भी जब मायके जाने … Read more

 अभिमान – गोविंद गुप्ता

रूपेश और राज घनिष्ठ मित्र थे बचपन से साथ ही पढ़े और विश्वविद्यालय की पढ़ाई तक साथ ही रहे,तभी एक सरकारी कम्पनी के एक बड़े पद हेतु आवेदन अखबारो में छपा तो दोनो ने फार्म भर दिया पर बताया नही एक दूसरे को इण्टव्यू पर दोनो ऑफिस में मिले, तो आश्चर्य हुआ राज बोला मैंने … Read more

चार बादाम – नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी, मैं तो युवान से तंग आ गई हूँ। बहुत परेशान करने लगा है।” एक घंटे से उसका होमवर्क लिए बैठी मनीषा परेशान होकर चिल्ला पड़ी थी। बात दरअसल ये थी कि लॉकडाउन के कारण वो उसे खेलने के लिए पार्क में नहीं जाने देती थी और ना ही उसके कोई बालसखा घर पर … Read more

मायका – नीरजा कृष्णा

“देख विदिशा, इस बार राखी पर तुझे यहाँ आना ही पड़ेगा। भला ये भी कोई बात हुई…भाई की कलाई पर इकलौती बहन की राखी ना सजे।” सुबह सुबह ही मम्मी का फोन आ गया था। उधर वो गहन धर्मसंकट में पड़ी हुई थी। जब जब मम्मी फोन पर आने का आग्रह करतीं…मन तो मायके की … Read more

पोते का सुख – सीमा वर्मा

‘ माँ ,अब आपने यह क्या मसला उठाया हुआ है ? ‘ ‘ क्या हुआ बेटे ? सुबह-सुबह ही तू इतना उखड़ा हुआ क्यों है ? ‘ — चौंक उठी कल्पना  ‘ तो बात बेटे तक पहुँच चुकी है ‘ कल शाम ही की तो बात है। जब कॉलोनी के पार्क में अपनी सहेली वृंदा … Read more

सबक – मीनाक्षी राय

“सबक” एक ऐसी कहानी है  जो एक  मां और बेटी पर  मैंने व्यक्त किया हुआ है| जो आप लोग के सामने में प्रस्तुत कर रही हूँ l आज अपनी समय रहते यदि सरिता ने बिटिया को सच और गलत मे फर्क करना सिखाया होता तो “दीपा” सरिताजी की बेटी अपनी जिंदगी में खुश होती|पर अफसोसयकी … Read more

बेटी – रूद्र प्रकाश मिश्रा

 ” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more

भाभी माँ – कंचन शुक्ला

वे मुझे इतनी पसन्द हैं कि मेरा मन होता है सदैव उनके आसपास रहूँ। उनसे दो पल की भी जुदाई मेरे मन को विचलित कर जाती है। भीनी भीनी सी उनके व्यक्तित्व की महक। कोयलों सी बोली, कानों में घुलकर, सब तनाव दूर कर देती है। भैया दो दिन के लिए टूर पर गए हैं। … Read more

एक वो रात थी -पुष्पा पाण्डेय

अक्सर ग्रामीण इलाकों में सरकार या सामाजिक संस्थाओं की ओर से मेडिकल कैम्प लगते रहते हैं। इस बार आँख की बीमारी का कैम्प  लगा था, जिसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी होता था। इस कैम्प में दो डाॅक्टर और चार नर्सों का समूह था। उन नर्सों में एक सिनियर नर्स थी, पुतुल। पुतुल अपनी सौ प्रतिशत  … Read more

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