माँ जी….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”
आहहह….अताह दर्द से तड़पती हुई “कौशल्या देवी” जिन्हें मैं माँ जी कहता था अपने रक्तयुक्त हाथ सीने पर रखे भरी भरी आंखों से मुझे देख रहीं थी. ..दर्द ही दर्द था उनकी आँखों में उसपल..जो आँसूओं का सैलाब..बन बाहर आ रहा था.. हालांकि पलकें मेरी भी भरी थी..दर्द मुझे भी था…आँसू रुकने का नाम नहीं … Read more