पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय – -पूनम वर्मा
नितिन बाबू शाम के समय दरवाजे पर बैठे चाय पी रहे थे तो देखा उनके बड़े भैया विपिन बाबू और भाभी रिक्शा से चले आ रहे हैं । अचानक इस तरह उनके गाँव आने से नितिन बाबू अचंभित थे । उन्होंमे उठकर स्वागत किया और हालचाल पूछने लगे । उनकी हालत दयनीय लग रही थी … Read more