बुरे फंसे – प्रीती सक्सेना

बात बहुत पुरानी है,  san 84 की , हम नई नई शादी के बाद इन्दौर, पतिदेव की पोस्टिंग पर आए, कुछ दिन तो घर जमाने में लग गए,आखिर नई गृहस्थी, नया नया सामान, एक अलग सा अनुभव, घर की मालकिन होने का गर्व, कुछ ज्यादा ही समझदारी का गुरुर सा होने लगा हमें।   अब पतिदेव … Read more

 दावानल – राहुल वालिया

New Project 60

दोपहर: लंबी उड़ान के पश्चात केचन कौए ने तनिक विश्राम करने की सोची। घने बरगद के पेड़ का कोई विकल्प न दिखा तो उसकी मोटी टहनी को क्षणिक आश्रय बना लिया। चोंच में दबाये रोटी के टुकड़े को पंजे से जकड़ा और आँखें मूंदने का प्रयास करने लगा। तभी एक चिर-परिचित गंध ने सुषुप्त केचन … Read more

डायन –  मुकुन्द लाल

वृद्धा शनिचरी जंगलों से घिरे एक गांव में रहती थी। उसका निवास मिट्टी के बने हुए एक छोटे से घर में था। उसको अक्सर लोग डायन कहकर ही पुकारते थे।  वह जब भी गांव में निकलती लोग अपने घरों के दरवाजों और खिड़कियों को फटाफट बंद कर देते थे। गली में खेल रहे बच्चों को … Read more

अक्सर होता वही है, जो ईश्वर चाहता हैं!! – मनीषा भरतीया

New Project 55

आज सुबह से ही शीला बहुत खुश थी क्योंकि पूरे 2 साल बाद उसके पति पंकज घूमने जाने का प्रोग्राम बना रहे थे….. आज से पूरे 2 महीने बाद जाने का प्रोग्राम तय हुआ था पंकज ने कहा था कि वह आज शाम ऑफिस से आकर  फ्लाइट की टिकट और होटल बुकिंग करेगा और साथ … Read more

माँ अब काम आपकी बहू ही आएगी!!  – मनीषा भरतीया

New Project 50

ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन फोन की घंटी बजी करीब सुबह के 9:30 बज रहे थे….. और रेशमा किचन में काम कर रही थी…. उसके हाथ आटे में सने हुए थे क्योंकि उसे उसके पति (रवि) को टिफिन जो देना था…. सुबह-सुबह सभी गृहणी की तरह वह भी बहुत व्यस्त रहती थी….. फिर वह आटे में … Read more

बाबुल बादल प्रेम का हम पर बरसा आई – लतिका श्रीवास्तव

New Project 49

#पितृ दिवस पर मन के भाव इस बार कोई कहानी नहीं सीधे सीधे शब्दों में अपने श्रद्धेय पिता के बारे में अपने मन के ही भाव व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं मेरे पापा मम्मी उस विशाल वट वृक्ष की भांति हैं जिनकी अविरल अगाध स्नेहिल शीतल छाया और सुदृढ़ आधार ने हम सबको … Read more

चित्कार – रीता मिश्रा तिवारी

New Project 48

आज श्यामा की शादी बड़े धुमधाम से जमींदार सूरज सिंह के बेटे बैंक अधिकारी कृष्णा सिंह से संपन्न हो गया।  दूध सी रंगत की चांद सी सुंदर श्यामा कृष्णा के नजरों से एक पल के लिए भी ओझल होती तो परेशान हो जाता पागलों की तरह प्यार जो करता था। पत्नि के जाने के बाद … Read more

गोल टेबल – दर्शना जैन

सौरभ एक फर्नीचर की दुकान के बाहर खड़ा दुकान के अंदर देख रहा था। दुकान मालिक ने आकर कहा – भाईसाहब कुछ चाहिए क्या? अंदर आइये ना। सौरभ ने कहा,” भाई, कुछ खरीदना नहीं है। आपकी दुकान में रखे गोल टेबल पर नजर पड़ी तो कुछ याद आ जाने से मैं रूक गया। ऐसी टेबल … Read more

अहसास –   बालेश्वर गुप्ता

New Project 47

पितृ दिवस पर – – –                 आज वर्षो पूर्व का स्वाद याद आ गया. गोलगप्पे खूब चाव से खाता था. उम्र बढ़ जाने के कारण अब ऐसी चीजो को खाने से डॉक्टर भी मना करते हैं और शरीर भी. पर इस मन का क्या करे? अजीब सी बेचैनी है. बाहर खुद ठेले पर जाकर गोलगप्पे … Read more

कहीं वो रास्ते में तो नहीं… – रश्मि स्थापक

कहीं वो रास्ते में तो नहीं… “भई रोज तो केवल नौ बच्चे अनुपस्थित थे,आज दस कैसे?” स्कूल के प्रिंसिपल ने परीक्षा कंट्रोल रूम में परीक्षा इंचार्ज से पूछा जो ऑनलाइन अनुपस्थिति भेज ही रहे थे।” ” सर अब तो लगभग आधा घंटा होने को है…इसके बाद तो किसी को अंदर आने की परमिशन भी नहीं … Read more

error: Content is Copyright protected !!