गलती किसकी – ऋतु अग्रवाल
रात के 12:00 बज रहे थे। अचानक से निहारिका की आँख खुली। पानी पीकर फ्रेश होने चली तो माँ बाबूजी के कमरे की लाइट जल रही थी। दरवाजे के पार से आवाजें आ रही थी। “कौशल्या, मैं कह रहा हूँ, तुम अपने मायके नहीं जाओगी। कभी नहीं का मतलब कभी नहीं।” बाबूजी शब्दों को चबा … Read more