चरित्र प्रमाण-पत्र – वंदना चौहान

मिसेज शर्मा छत पर कपड़ों की बाल्टी लेकर पहुँची ही थीं कि मिसेज वर्मा की आवाज से चौंक पड़ीं । अरी बहन, कब से तेरी राह देख रही हूँ। आज इतनी देर कैसे कर दी कपड़े धोने में, मैं तो कब से सारे कपड़े सुखा चुकी तेरे इंतजार में खड़ी हूँ । हाँ बहन, आज … Read more

मजबूरी – अनुपमा

नीरजा अपने पति को चाय दे ही रही थी की बाहर के शोर की आवाजें उसके कानों मैं सुनाई दी , वैसे तो आए दिन कुछ न कुछ होता ही रहता था नीरजा के पड़ोस मैं पर सबसे ज्यादा जो कुछ भी होता था उसके बगल वाले घर मैं ही होता था । कभी सब्जी … Read more

मेरी रोज़ -रीता मिश्रा तिवारी

रुक जा तराना ! हम कह रहे हैं भला मन से रख दे नाहीं तो … नाही तो का ज़रा पकड़ कर दिखाओ ही ही ही कर तराना जो लेना था वो लेकर भाग गई । दीनू चिल्लाता रहा अरे कोई पकड़ो उसे, उफ्फ मेरा पचास रुपए का नुकसान कर दिया । एक न एक … Read more

संघर्ष…. सुधा सिंह भाग 1

रवि बालकनी में बैठा लॉन में खेलते बच्चों को बड़े ध्यान से देख रहा था कितने खुश थे ! सब बच्चे एक अजीब सी चमक थी  सबके चेहरे पर मानो  दुनिया से बेखबर किसी की भी परवाह नहीं बस लक्ष्य था केवल जीतना! कोई बॉल खेल रहा था कोई छुपन छुपाई खेल रहा था !उनकी … Read more

फूलवाली लड़की…-सीमा वर्मा

रोज शाम पांच बजे घर से निकल  नीरजा  रोड के उस पार वाले  फूल की दुकान से अपनी व्हील चेयर पर आश्रित बिटिया रिम्मी के साथ  जा कर फूल खरीदना नहीं भूलती है ।                         यों की नीरजा घर के कार्य से  थकी हुयी होती है फिर भी उस दुकान में ताजे फूलों के बीच बैठी … Read more

एक भूल -सुनीता मिश्रा

लम्बे केश,छरहरी काया,बड़ी बड़ी बोलती आँखे, हँसता चेहरा और रंग ,सुबह निकली सूरज की   किरणों सा।ऐसा छन्नो का रूप।लगता मानो राजा रवि वर्मा की पेंटिंग शकुन्तला प्रगट मे सामने आ गई हो । आज तो अलग ही निखार था  सुबह सुबह जब दूध की डोलची ले हमारे घर आई।माँ को आवाज दी– “भाभी ,दूध … Read more

जीवन की सँध्या बेला-सीमा वर्मा

” बवँडर ” यानी मृगतृष्णा का नाच आप सबने देखा होगा ? । मेरी अम्मा कहती थीं वह गर्मी की दुपहरिया में नाचती है और नाचते – नाचते सामने जो आता है उसे दो फाड़ कर देती है ठीक वैसे ही जैसे मेरी अम्मा और पिताजी हो गए ।              आज उस दुष्ट लड़के सुरेश ने … Read more

पराई बेटियां – आरती रॉय

पिताजी के गुजर जाने के बाद सोनम कब पापा की जगह ले ली उसे पता ही नहीं चला । खुबसूरती खुद्दारी में बदल गई , दो दो भाईयों की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी ,ओवरटाइम करते करते पैसा कमाने में मशीन बन गई । माँ भी पापा के जाने के बाद , जैसे जिंदगी का जुआ … Read more

नन्ही शबरी -मीनाक्षी चौहान

घर में आज पूजा है। माँ जी ने प्रसाद बनाने का जिम्मा मुझे सौंप दिया। खुद की तबियत ठीक नहीं है। हाथ नहीं लगा सकतीं इसलिए। जुटी हुई हैं कामवाली दीदी के साथ, लोगों के आने से पहले इधर सजाने उधर समेटने में। और ये कामवाली दीदी भी ना……इतना काम फैला है आज और ये … Read more

लुटेरा कहीं का -मीनाक्षी चौहान

दो घन्टे के सफ़र में चार घन्टे लगा दिए, खटारा बस ने। पत्नी और बच्चों के साथ उनकी मौसी के घर से वापस आ रहा था। अपने शहर पहुँचते-पहुँचते रात के ग्यारह बज गए। दोनों बच्चे भूखे और निंदियासे हो रहे थे। एक बड़ा सा रेस्टोरेंट दिखा भी पर उनमें जाने की इजाजत जेब ने … Read more

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