सफर – अनुज सारस्वत

आज काफी दिनों बाद रेल में यात्रा करने का अवसर मिला कोरोना के कारण। स्लीपर का टिकट करा लिया था।मेरी ऊपर की सीट थी शरारती तो हम बचपन से थे तो जूते सहित चढ़ गये मन में शरारत सूजी रख दिये जूते पंखे के ऊपर।ऐसा बचपन में बहुत करते थे तब साधारण कोच ही हमारी … Read more

सयानी बेटी – रीटा मक्कड़

माँ का फोन बंद करने के बाद अंजली सोच में डूब गई। माँ कह रही थी संजना की तबियत आज ठीक नही है ।तुम फोन करके उसका हाल चाल पूछ लेना।बेचारी को सारा दिन काम से फुर्सत नही मिलती।कितना काम करती है ना।ऊपर से घर मे बजुर्ग सास ससुर। कितना थक जाती है बेचारी। संजना … Read more

लिट्टी की नियति – वीणा

आज पार्वती बहुत खुश थी , दिल्ली जो जाना था उसे । बेटे मनोहर ने टिकट कटवा दिया था दिल्ली आने का । कहा था– माँ , मैं डेरा ले लिया हूँ , पर छुट्टी नहीं मिल रही मुझे । रमेसर चचा के साथ तुम गाड़ी से आ जाना , मैं स्टेशन आ जाऊँगा लिवाने … Read more

प्रायश्चित पूरा हुआ – संगीता अग्रवाल

कितने अरमानों से महेश के माता पिता उसे बहु बनाकर लाए थे अपने इकलौते बेटे के लिए पर उसने उनके घर को ही तोड़ना चाहा। कितना प्यार करते थे सभी पर उसे तो सास ससुर के जिम्मेदारी बोझ लगती थी।  ” महेश मुझसे नही होती तुम्हारे मां बाप की सेवा मुझे आजादी चाहिए तुम कही … Read more

माँ की ममता – गोविन्द गुप्ता

सुनीता एक बहुत ही सीधी सादी लड़की थी ,विवाह योग्य होने पर माता पिता ने राजकुमार नामक लड़के से विवाह तय कर दिया जो अपने माता पिता का इकलोता लड़का था, शादी धूमधाम से हुई और कुछ वर्ष बाद एक लड़के का जन्म हुआ , खूब खुशी मनाई गई लड़का धीरे धीरे बड़ा होने लगा … Read more

उपहार – ऋतु अग्रवाल

सुरेशजी के निधन के बाद केतकीजी काफी अकेली पड़ गई थीं। बिटिया महिमा शादी के बाद पुणे सेटल हो गई थी और बेटा माहिम पिता के कारोबार में व्यस्त था।       केतकीजी ने कुछ स्वयंसेवी संगठनों की सदस्यता ग्रहण कर ली ताकि मन लगा रहे। वहीं उनकी मुलाकात तपी से हुई जो निरक्षर बच्चों के लिए … Read more

सौतेली – गीता वाधवानी

नन्ही मुन्नी, प्यारी चांद जैसी गुड़िया को अपनी गोद में शांति से सोते हुए देखकर, सोनाली की आंखों में खुशी के आंसू भर आए और उसने गुड़िया को अपने हृदय से लगा लिया। उसे ही ह्रदय से लगाकर उसे किसी की याद आ गई और मन पश्चाताप से भर उठा।            सोनाली गुड़िया को गोद में … Read more

अछूत कन्या – रीता मिश्रा तिवारी

रात दो बजे.. हावड़ा स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही एक नवविवाहिता जोड़ा उतर कर टैक्सी चालक को पार्क स्ट्रीट चलना है बोल बैठ गए। फाइव स्टार होटल में प्रवेश कर कमरा बुक किया। थकावट दूर करने के लिए खाना मंगवा कर कमरे में ही खा कर सो गए । दूसरे दिन दोनों पूरा दिन कोलकाता … Read more

जुगनू – मौसमी चन्द्रा

रात का घनघोर अँधेरा!दोनों तरफ के पेड़ आदमकद भूत दिख रहे थे। रेलगाड़ी अपनी रफ्तार में थी।बोगी में सन्नाटा!सब गहरी नींद में पर जुगनू की आँखों से नींद गायब थी। उसने मोबाइल निकालकर समय देखा..2बजकर 17मिनट! छः घण्टे और!फिर वो सामने होगा अपनी दीदा के! कभी सुना था,बड़ी बहन माँ समान होती है पर जुगनू … Read more

बदलाव – रीटा मक्कड़

एक तो लॉक-डाउन के साथ कर्फ्यू ऊपर से घर पर भी दिन रात हर घड़ी हर पल का कर्फ्यू सच ही तो है पति लोग तो कर्फ्यू की वजह से घर पर हैं लेकिन हम औरतों के लिए तो घर पर ही कर्फ्यू लगा हुआ है जिसमे कोई ढील नही। दिन रात सबकी फरमाइशों को … Read more

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