निर्णय – प्रीति आनंद

  “दीक्षा , आज हमारे ऑफ़िस में गेट-टुगेदर लंच है, सभी को अपनी फ़ैमिली को लेकर आना अनिवार्य है। मैं बारह बजे आऊँगा तुम्हें पिक-अप करने। तैयार हो जाना कुछ अच्छा-सा पहन कर।” राकेश ने दफ़्तर के लिए निकलते हुए फ़रमान सुना दिया। “पर राकेश, आज तो मुझे ऐयरपोर्ट जाना है कामिनी को मिलने। तुम्हें … Read more

आदर – सुनीता मिश्रा

ट्रेन  से उतर मै और दादी ने गाँव की बस पकड़ी।बस भी गाँव के अंदर तक कहाँ जाती थी।सरकारी योजना के तहत बनी पक्की सड़क ने हम दोनो को करीब गाँव से छ किलोमीटर की दूरी पर उतार दिया। सड़क के किनारे बिसना बैल गाड़ी लिये खड़ा हुआ था।दादी के उसने पैर छुए। बिसना दादी … Read more

समझदार – रेखा मित्तल

     मां की तबीयत खराब थी। कुछ उम्र का तकाजा, कुछ घुटनों का बढ़ता दर्द। मुझे कल 5/7 दिनों के लिए मां के पास जाना था। 1 सप्ताह से तो बड़ी दी देखभाल कर रही थी परंतु उनकी भी छुट्टी खत्म हो रही थी तो अब मुझे वहां जाना था। प्रोग्राम पहले से ही तय था। … Read more

प्यार की एक कहानी – नीलम सौरभ

____________________________________________ वह हल्के कुहासे से भरी एक सुहानी सुबह थी। सवेरे की सैर पर निकले हुए लोगों के लिए अति आनन्द भरी थी। पर उस परिवार के वृद्ध मुखिया बब्बाजी आज बेहद गुस्से में भरे हुए शीघ्र ही घर लौट आये। रोज की नियमित दिनचर्या के तहत वे टहलने गये थे, लेकिन आज अपने पुराने … Read more

मैला आँचल – रंजना बरियार

‘किरण , तुम यहाँ?…’ स्वास्थ्य मंत्री प्रकोष्ठ के बाहर , ऊँची हिल की सैंडल ,कड़क साड़ी  पहनी, गुलाबी लिपस्टिक लगाकर, घूमती किरण को देखकर आश्चर्य से डॉ सौरभ प्रकाश ने पूछा । ‘जी , मैं इन दिनों यहीं काम करती हूँ…’ किरण ने संक्षिप्त सा जवाब दिया । ‘क्या काम करती हो यहाँ ?’डॉक्टर ने … Read more

बेआवाज लाठी – रीटा मक्कड़

इकलौते बेटे को ब्याह कर  सुमित्रा काकी बड़े चाव से बहु ले कर आई।इतनी खुश थी आज कि जैसे सारी खुशियाँ एक ही बार में समेट लेगी। बड़ी देखभाल कर छाँट कर लड़की चुनी। जो बेटे की तरह ऊंची लम्बी हो , सुंदर भी लगे और खानदानी भी हो। सारी जिंदगी लोगों के कपड़े सिलकर … Read more

सुखना – रूद्र प्रकाश मिश्र

बिल्कुल अपनी नाम के मुताबिक था वो । सूखी सी देह , अंदर की ओर धँसी हुई आँखें , बाहर निकला हुआ पेट और सूखे हाथ – पाँव । यही कोई बारह या पंद्रह वर्ष के आस – पास उम्र होगी उसकी ।           उसको आज सुबह से ही पास वाले गाँव के जमींदार के यहाँ … Read more

बिल्कुल तुम पर गई है – पिंकी नारंग

सुधा शिवम को याद कराते हुए कह रही थी, घर की डुपलीकेट चाबी अपने पास रख लेना |आज पापा से मिलने गुड़गांव जाना है, लौटने मे देर हो जाएगी |डिनर भी बाहर से औडर कर देना |मै भी घर आ कर तुम्हारे साथ ही खाऊँगी |शिवम हसँते हुए बोला “दोपहर का खाना भी खा कर … Read more

नहले पर दहला – प्रीती सक्सेना

स्वलिखित   हां तो बात बहुत पुरानी है, हम पुत्र जन्म के डेढ़ माह बाद इंदौर आए, एक तो काम करने की कम आदत, अरे बताया तो था, पापा हमारे एसडीएम, थे न, चपरासियों की फौज रहती थी घर में, कुछ तो इस कारण से काम करने की आदत नहीं पड़ी , और हमें ये … Read more

सफर – अनुज सारस्वत

आज काफी दिनों बाद रेल में यात्रा करने का अवसर मिला कोरोना के कारण। स्लीपर का टिकट करा लिया था।मेरी ऊपर की सीट थी शरारती तो हम बचपन से थे तो जूते सहित चढ़ गये मन में शरारत सूजी रख दिये जूते पंखे के ऊपर।ऐसा बचपन में बहुत करते थे तब साधारण कोच ही हमारी … Read more

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