मैं नाराज़ नहीं हूं पापा – सुषमा यादव

एक बेटी के मन के भाव,,जो वो ना कह‌  सकी,, ,, बेटी दिल्ली में अपने पापा के साथ , मेडिकल प्रवेश की काउंसिलिंग में आई थी,, वहीं पर एक लड़के ने उससे बात करते हुए कुछ जानकारी चाही,, उसके पापा ने दूर से देखा और आकर गुस्से से कहा,, कि, ये लड़का तुमसे क्यों बात … Read more

रौनक – कंचन श्रीवास्तव

वर्षों से तड़पती भीतर से टूटी मां को कैसे भी करके पहले जैसे बनाना ही होगा चाहे जो भी हो जाए बहुत हो गया तड़पना रोना परेशान रहना। मैं देखती हूं हर रोज वो तिल तिल होके मर रही हैं मिल बैठकर बात तो करनी ही होगी भले  थोड़ी नोक झोंक  हो  पर हम समझते … Read more

 सौगात – दीपा साहू “”प्रकृति”

इतनी लंबी उम्र गुजर गई और कृष्ण तुम वहां बैठे – बैठे मुस्कुराते रहे और बस देखते रहे।हाँ मानती हूँ तुमने मुझे हमेशा मुसीबतों से बचाया है।पर कभी तुम्हें मेरे अंदर निरन्तर पलते दर्द पर कभी दर्द नहीं होता ? हाँ कृष्ण तुम्हें नहीं होता! तुम बस बाँसुरी बजाते अपनी लीला रचते रहो।क्या मेरे कर्म … Read more

हम दोनों – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

कॉलेज पास करने के बाद जो सबसे बड़ी चुनौती थी वो ये नहीं थी की जिससे बचकाना प्रेम किया उससे शादी होगी या नहीं?(हो जाता है न कॉलेज में, वो फ़िल्मी वाला प्यार, हिरो और हिरोईन प्यार किए, फिर घरवालों ने शादी करा दी… कहानी ख़त्म) बल्कि चुनौती थी तो बस ये की छोटे शहर … Read more

दिल का रिश्ता – उमा वर्मा

पता नहीं था कि वह अचानक  यूँ मिल जायेगा ।फेसबुक टटोलते अचानक फ्रेंड रिक्वेस्ट में आ गया वह ।और फिर हाय, हैलो से हमारी बात का सिलसिला शुरू हो गया ।वाट्स एप के जरिए ।मैं भी तो बचपन से लेकर कालेज के दिनों में जीने लगी थी ।वह हमारे सामने के मकान में रहता था … Read more

हमारी अनोखी मित्रता – पायल माहेश्वरी

  हर साल जब मायके जाने की आती हैं बारी मन में खिल जाती नवीन खुशियों की फुलवारी !!   मायके का लगाव उम्र के किसी भी पड़ाव पर कम नहीं होता हैं और  बचपन की अनगिनत अच्छी बुरी यादें मायके में जाकर फिर जीवन्त हो उठती हैं।      इस साल भी जब मायके जाने … Read more

 अभिमान – गोविंद गुप्ता

रूपेश और राज घनिष्ठ मित्र थे बचपन से साथ ही पढ़े और विश्वविद्यालय की पढ़ाई तक साथ ही रहे,तभी एक सरकारी कम्पनी के एक बड़े पद हेतु आवेदन अखबारो में छपा तो दोनो ने फार्म भर दिया पर बताया नही एक दूसरे को इण्टव्यू पर दोनो ऑफिस में मिले, तो आश्चर्य हुआ राज बोला मैंने … Read more

चार बादाम – नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी, मैं तो युवान से तंग आ गई हूँ। बहुत परेशान करने लगा है।” एक घंटे से उसका होमवर्क लिए बैठी मनीषा परेशान होकर चिल्ला पड़ी थी। बात दरअसल ये थी कि लॉकडाउन के कारण वो उसे खेलने के लिए पार्क में नहीं जाने देती थी और ना ही उसके कोई बालसखा घर पर … Read more

मायका – नीरजा कृष्णा

“देख विदिशा, इस बार राखी पर तुझे यहाँ आना ही पड़ेगा। भला ये भी कोई बात हुई…भाई की कलाई पर इकलौती बहन की राखी ना सजे।” सुबह सुबह ही मम्मी का फोन आ गया था। उधर वो गहन धर्मसंकट में पड़ी हुई थी। जब जब मम्मी फोन पर आने का आग्रह करतीं…मन तो मायके की … Read more

पोते का सुख – सीमा वर्मा

‘ माँ ,अब आपने यह क्या मसला उठाया हुआ है ? ‘ ‘ क्या हुआ बेटे ? सुबह-सुबह ही तू इतना उखड़ा हुआ क्यों है ? ‘ — चौंक उठी कल्पना  ‘ तो बात बेटे तक पहुँच चुकी है ‘ कल शाम ही की तो बात है। जब कॉलोनी के पार्क में अपनी सहेली वृंदा … Read more

error: Content is Copyright protected !!