बहु या बेटी –  किरण केशरे 

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एक प्याली चाय’ मन को  कितनी संतुष्टि प्रदान करती है ! जब हम थककर चूर हो ,सर्दियों भरे दिन हो ,बारिश का हरियाली मौसम हो और साथ मे कोई मनपसंद स्नैक्स । “बस ऐसा लगता है  ,जैसे इससे बड़ा सुख कोई नही” । लेकिन मानू को ये सब कहाँ नसीब ,सुबह से शाम कब हो … Read more

आकाशवाणी  –  बालेश्वर गुप्ता

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कहाँ हो तुम – – तुम्हें कुछ पता भी है – पता नही तुम कहां रहती हो – तुरंत आओ –       पिताजी जोर से चीख कर माँ को बुला रहे थे.     क्या आफत आ गयी जो इतना जोर से बोल रहे हो, यही तो हूँ, बताओ क्या आसमान टूट पड़ा है?      तुम्हारा चहेता बेटा, शादी … Read more

“निर्जला एकादशी” – ऋतु अग्रवाल

 “अरे! ओ बहुरिया, कल निर्जला एकादशी है। कल सब का निर्जला व्रत होगा। सुन रही हो ना सब की सब?” अम्मा ने अहाते में खड़े होकर आवाज लगाई।     “हाँ,हाँ, अम्मा जी! हमें याद है। हम सब कल निर्जला व्रत रखेंगी।” मंझली बहू ने अम्मा जी को दवाई देते हुए कहा।    अम्मा जी का भरा पूरा … Read more

निर्णय.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

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मैं अपने घर की बाल्कोनी में बैठा चाय की चुस्कियाँ ले रहा था जो थोड़ी देर पहले मुझे मेरी माँ ने बनाकर दी थी वो भी अदरक डालकर… सच तो यह था कि मुझे माँ की हाथों की बनी चाय बहुत पसंद थी,मैं जब भी घर पर होता पत्नी को छोड़ मेरी माँ को ही … Read more

जूते…!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

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नमन सुबह से मुँह फुलाए बैठा था.! माँ संगीता के लाख कहने पर भी वह न तो कुछ खा रहा था और ना ही पी रहा था बस जिद्द पर अड़ा एक ही रट लगाए था कि… मुझे नये जूते ला दो.! मुझे नये जूते ला दो.!! माँ बेचारी कहे जा रही थी..! बेटा अभी … Read more

बुलबुल* – अनु मित्तल  ‘ इंदु’

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बात पांच साल पुरानी है ।मेरी बेटी की शादी हो गई थी ।  हमारे घर के पिछले स्टोर में से कुछ आवाजों ने हमें चौंका दिया । मैंने अपनी नौकरानी सुंदरी से कहा कि ज़रा स्टोर में देखो क्या आवाजें आ रही हैँ । हमने देखा कि एक बड़े से कुशन  पर बिल्ली के चार … Read more

यह अंत नहीं जीवन का”-तृप्ति उप्रेती

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“पापा, आज बिजली का बिल भर दीजिएगा”। विहान ऑफिस जाते हुए सुरेश जी से बोला। सुरेश जी लाॅन में बैठकर चाय पी रहे थे। तभी सुहानी बाहर आई और उन्हें एक कागज देते हुए बोली, “पापा जी, जब आप बिल भरने जाएंगे ही तो यह राशन के सामान की लिस्ट भी किराने वाले को दे … Read more

भाभी की सीख – अनुपमा

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मानसी मानसी कहां हो , जल्दी बाहर आओ तुम्हे कुछ दिखाना है । आशु आवाज देता हुआ सीधे मानसी के कमरे मैं चला गया और उसे लगभग खींचता हुआ बाहर ले आया और उसे अपनी नई बाइक दिखाने लगा । मानसी और आशु पड़ोसी थे ,साथ है बचपन से , नर्सरी से कॉलेज भी साथ … Read more

वो बदनाम गलियां – संगीता अग्रवाल

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क्या ये बदनाम गलियां ही अब मेरा मुकदर होंगी… क्या मैं कभी खुल कर नही जी पाऊंगी….क्या मुझे यहीं घुट घुट कर जीना पड़ेगा । मेरा नाम मेरी पहचान मेरा वजूद सब खो जायेगा..,? कांता बाई के कोठे के अंधेरे कमरे में पड़ी सत्रह साल की वैशाली ये सब सोच रही थी। वो जितना इस … Read more

स्वार्थी – अनुज सारस्वत

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******** “चल बेटा तैयार हूं मैं, गंगा मैया की बड़ी कृपा है ,बुला ही लेती हैं ,और देखो तेरी पोस्टिंग भी अपने किनारे करवा ली ,यह संयोग नही है” बाईक पर बैठते हुए जयंत की माँ ने कहा “अरे मम्मी आप मेरे साथ ही रहा करो कितनी बार कहा है ,लेकिन आपको वही पुराना घर … Read more

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