सवाल हानि-लाभ का – नीलम सौरभ
रोज की तरह शाम को रुनू की दादीमाँ अपनी हमउम्र सखी के साथ जब पास वाले मन्दिर गयीं, वापसी में उन्हें सड़क के किनारे ठेले पर सजी ताज़ी सब्जियों के साथ आलू, प्याज भी बिकते दिख गये। वे भी एकदम फ्रेश दिख रहे थे। सुबह-सुबह बहू की बातें कानों में पड़ी थीं, कि आलू-प्याज दोनों … Read more