आखिरी बार – कंचन श्रीवास्तव
सुबह के चार बजे थे जब रेखा की आंख बुरे स्वप्न के कारण खुली , देखती भी क्यों ना आज साल भर होने को आया अस्पताल से घर और घर से अस्पताल की होके रह गई है।सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया है ना समय से खाना ना पीना और न होना, बिल्कुल अनियमित दिनचर्या … Read more