बदलाव – रीटा मक्कड़

एक तो लॉक-डाउन के साथ कर्फ्यू ऊपर से घर पर भी दिन रात हर घड़ी हर पल का कर्फ्यू सच ही तो है पति लोग तो कर्फ्यू की वजह से घर पर हैं लेकिन हम औरतों के लिए तो घर पर ही कर्फ्यू लगा हुआ है जिसमे कोई ढील नही। दिन रात सबकी फरमाइशों को … Read more

वो सुनहरे दिन – नीरजा कृष्णा

आज मधुरिमा को बाहर का भी बहुत काम था और ऐन वक्त पर मेड भी धोखा दे गई थी। बेचारी परेशान होकर जल्दी जल्दी काम निपटाने की कोशिश कर रही थी। वो बहू की अफ़रातफ़री समझ भी रही थीं और महसूस भी कर रही थीं। वो पूजा समाप्त कर उसके पास आईं और सब्ज़ी वगैरह … Read more

बाड़ – सुनीता मिश्रा

“अरे मार ही डालेगा क्या बहू को,छोड़ पेट से है वो,बच्चे को चोट लगी तो दोनों के जान पर बन आयेगी।”जानकी बेटे पर बरस पड़ी।जो अपनी पत्नी से,जबरदस्ती उसके हाथ की सोने की चूड़ी उतरवा रहा था और निर्मला(उसकी पत्नी) चूड़ी उतारने नहीं दे रही थी। जानकी का बेटा, मुन्ना बाबू। खानदान मे एक लम्बे … Read more

विदाई – अनामिका मिश्रा

आज निर्मला बिस्तर पर लेटी पुरानी यादों में खो गई थी। काफी दिनों से बीमार थी। निर्मला के दो बेटे थे। छोटा बेटा प्रदीप लाडला था निर्मला का। कहने लगा, “मां चलो तुम हमारे साथ रहना, मैं देख रहा हूं, तुम यहां आराम से नहीं हो, भाभी भी तुम्हारा ख्याल नहीं रख पा रही है,रीना … Read more

राधा जिज्जी – अनुपमा

राधा दीदी जरा गोलू को संभाल लो बहुत परेशान कर रहा है बड़की बहु की आवाज से राधा गोलू को गोदी मैं उठा ही रही थी की पीछे से मानसी पूछ बैठी दीदी क्या बनेगा खाने मैं आज ? राधा ने उसको कहा जो भी हो उसी हिसाब से बना लो यही रहता था उसका … Read more

धुँधला होता रंग – सरला मेहता

अभी अभी पद्मा राजेंद्र की दिल की कलम से लिखा आलेख पढ़ा,,, *क्या आप भी ?* और सच इस पान प्रकरण ने कई यादें ताज़ा कर दी। यूँ देखा जाए यह शनै शनै विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में भी आ सकता है। मुखवास के नए साधनों की कमी नहीं है। कई तरह के पान मसालों … Read more

अहसास … – सीमा वर्मा

मालती मात्र १७  की थी जब उसका  विवाह सुधीर के साथ सम्पन्न हुआ था ।  उसने जब से सपने देखना शुरू किया  था तभी से सोंचना भी उसका मन भी फूलों जैसा महका था सुधीर के साथ। यह उम्र ही होती है जब आप रंगीन और रूमानी दुनिया में रहते हैं ।  जिंदगी सतरंगी लगती … Read more

इडली वाली: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

क्या यार, कैसी लड़की है ए? ना ढंग के कपड़े पहनती है, ना ढंग से सजती सँवरती है, शरीर देखो उसका? कैसे अदरक जैसा जहाँ तहाँ से शरीर निकल रहा है। उसकी आँखें तो देखो, कितनी कजरारी और बड़ी हैं। अगर सही से सजे-धजे और शरीर का वजन घटा ले तो हमारे क्लास की लड़कियों … Read more

बुनकर – अंजू निगम

“अरे नौशाद, जरा दो गिलास पानी तो भिजवा यहाँ।” शमशाद की आवाज पर नौशाद काम छोड़ तुरंत अमल पर उतरा।  इस महीने लगा, पुरानी रौनक फिर लौट रही है।  लगन लग रहे थे। कई मोटे ग्राहक फिर आ जुटे थे। अब तक सूखी पड़ी कड़ाही में घी की तरावट आने लगी थी। शमशाद जी जान … Read more

स्वसंवाद….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

घर से निकलते ही….!! “घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही….!! “ आज भी जब मैं ये गाना सुनता हूँ या कहीं से इसके स्वर मेरे कानों में पड़ते हैं तो बरबस मुझे वो तुम्हारा पुराना घर याद आ जाता है जो ठीक मेरे घर के सामने था ,जिसके टैरिश पर तुम रोज खड़ी … Read more

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