विलास बहू (भाग-4) – संजीव जायसवाल ‘संजय’ : Moral stories in hindi

अविश्वश्नीय दृष्टि से स्क्रीन को देखते हुये उसने माउस क्लिक किया। अगले ही पल ई-मेल खुल गया। मोहनी ने सही कहा था। उसने परसों ही उसे असलियत से अवगत करा दिया था किन्तु जल्दबाजी में उसने ई-मेल को देखा ही नहीं था। किन्तु मोहनी और ई-मेल? रसोई की चाहरदीवारी में कैद देहाती औरत का लैपटाप … Read more

विलास बहू (भाग-3) – संजीव जायसवाल ‘संजय’ : Moral stories in hindi

‘‘अपने ईलाके में लड़कियों के लिये एक भी डिग्री कालेज नहीं है। हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है। अगर आप अनुमति दें तो पिताजी के नाम से एक डिग्री कालेज खोल दिया जाये’’ विलास बहू ने मन की इच्छा बतायी। ललिता देवी सोच में डूब गयीं। उनके चेहरे पर एक के बाद एक … Read more

विलास बहू (भाग-2) – संजीव जायसवाल ‘संजय’ : Moral stories in hindi

‘‘तुमने फिर इतने सारे जेवर क्यूं पहन लिये?’’ बिना किसी भूमिका के विलास ने सीधा प्रश्न किया। ‘‘मांजी ने पहनाये हैं’’ आनंदातिरेक में डूबी मोहनी ने बताया। ‘‘मुझे उलझन होती है, उतारों इन्हें’’ विलास झल्ला उठा। ‘‘ये मांजी का आशीर्वाद और मेरे सुहाग की निशानी हैं ’’ नववधू सहम उठी। ‘‘तुम्हें अपना जीवन सुहाग की … Read more

विलास बहू (भाग-1) – संजीव जायसवाल ‘संजय’ : Moral stories in hindi

चांद सा चेहरा, दूध सी स्निग्ध त्वचा, झील सी नीली आंखें, मोती सी दंत-पंक्तियां, गुलाब से होंठ और हंसिनी सी चाल। ये सारी उपमायें उस नन्हीं सी जान के लिये थीं जिसे ललिता देवी लाखों में छांट कर लायी थीं। जमींदार घराने का एकलौता चांद था विलास। सोने पर सुहागा यह कि आई.आई.टी. से इंजीनयरिंग … Read more

समाधि (भाग-4) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

****** पिछले अंक ( 03 )का अन्तिम पैराग्राफ •••••••• वह जानता था कि दोनों परिवारों में किसी को इस सम्बन्ध में आपत्ति होगी तो केवल समाधि को। मम्मी और पापा उसे अपनी बेटी ही मानते हैं।इसलिये वह किसी से कुछ कहने के पहले इस दुविधा को दूर करना चाहता था। यदि समाधि ने उसका प्यार … Read more

समाधि (भाग-3) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

पिछले अंक ( 02 )  का अन्तिम पैराग्राफ ••••••• ********************************* मौली के पीछे छुपे छुपे ही सिम्मी कहती – ” आंटी, यह अभी आपकी और अंकल की बात नहीं सुन रहा है। पढ़ेगा लिखेगा नहीं, तो इसको नौकरी भी नहीं मिलेगी। आपको क्या करना आगे चलकर खुद ही रोयेगा। आप लोग इसको मूॅगफली की रेहड़ी … Read more

समाधि (भाग-2) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

पिछले अंक ( 01 ) का अन्तिम पैराग्राफ •••••••••• गिरीश के माता पिता भी जब इच्छा हो कानपुर उन लोगों के पास आ जाया करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर सिम्मी और रत्ना भी गिरीश की अनुपस्थिति में भी उन लोगों के पास चले जाया करेंगे। यही सब सोंचकर गिरीश और रत्ना ने एक नई बनी … Read more

समाधि (भाग-1) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

इसी रविवार को  समाधि का बेटा अस्तित्व लेफ्टीनेंट की ट्रेनिंग के लिये जाने वाला है लेकिन उसके पहले उसको अपने बेटे से किया हुआ अपना वादा पूरा करना है। जाने के पहले समाधि को उसे उसके जीवन की सच्चाई बतानी है। उसे आज भी याद है वह दिन जब रक्तदान करके आये इन्टरमीडिएट के छात्र … Read more

मुक्ति (भाग-6) एवं (अंतिम भाग ) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

” क्या मतलब ?” “मतलब तो तुम ही जानती हो शायद ! उन सब बातों का मतलब जो तुम्हारे लिये होती हैं। ऐसी बातें सब क्यों करते हैं तुम्हारे लिये ?” सारिका ने मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए कहा और मैं उस दृष्टि का सामना नही कर पाई। मैं दूसरे कमरे में जा के … Read more

मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

मैं आगे बढ़ कर पीछे के रास्ते निकली और पड़ोस का पिछला दरवाजा खटखटाने लगी गाँवों के लिये तो उस समय आधी रात का समय था। एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला। मैने उन्हे देखते ही सारिका को उनके पैरों पर रख दिया। “चाची जिऊ ! एकर जिनगी बचाइ लें।” ” का भै … Read more

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