सुख नहीं रहा तो दुख भी नहीं रहेगा…रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi
Post View 9,950 …आज कई सालों बाद प्रियंवदा जी ने अपनी पुरानी संदूक खोली थी… पुराने कपड़े लत्ते… कागज पुर्जों के बीच… एक पीतल का बड़ा कलसा चमक उठा… अपने कांपते हाथों से कलसे को उठाने की कोशिश करने लगीं… लेकिन वह इतना भारी था कि निकाल नहीं पाईं… फिर उन्होंने उस पर पड़ा ढक्कन … Continue reading सुख नहीं रहा तो दुख भी नहीं रहेगा…रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi
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