सोने की मुर्गी! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

Post View 1,743 सुबह-सुबह जैसे ही मानसी के बाबा बरामदे में रक्खी कुर्सी पर आ कर बैठे, मोहिनी जी ने चाय-नाश्ते की ट्रे कांच के टी-पॉय पर रख दी और खुद सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। मानसी के पिताजी रतनचंद जी शहर के नामी-गिरामी कॉलेज में प्रोफेसर थे। राज्य सरकार के अधीन महाविद्यालय होने … Continue reading सोने की मुर्गी! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi