सिंदूर चमकता रहे मांग में – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi
Post View 18,345 शिखा बचपन से ही अपनी दादी को सजती संवरती देखती आई थी।शाम ठीक चार बजे कंघी से बाल बनाकर बढ़ा सा जूड़ा बनाती थीं वोन।बड़े माथे पर उंगली से ही सिंदूर की डिबिया से सिंदूर लेकर गोल बड़ी सी बिंदी लगाती थीं,और उसी सिंदूर से मांग भर कर अपने शाखा-पोला(बंगाली सुहागिनों की … Continue reading सिंदूर चमकता रहे मांग में – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi
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