घर के ना घाट के : Short Stories in Hindi

#घर के ना घाट के” – कविता भड़ाना नहीं रहना मुझे इन दोनों में से किसी के भी साथ जज साहब…जब मुझे अपने माता पिता की सबसे अधिक जरूरत थी, तब ये मेरे जन्मदाता, दोनों ने ही मेरी जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दिया था क्योंकि इन दोनों हाईप्रोफाइल सैलिब्रिटी मॉम डैड को मैं उनकी … Read more

बेटी का आक्रोश – शिप्पी नारंग

मैं यानी निधि अंतिम बॉक्स ट्रक में लोड करवाने के लिए लेबर को आदेश दे ही रही थी कि छोटी बहन विधि ने आकर कहा जी “दीदी बाहर कोई बुजुर्ग अंकल आए हैं और मम्मा को पूछ रहे हैं। मैंने झूठ कह दिया कि मम्मा घर पर नहीं हैं, इतनी मुश्किल से तो वो सो … Read more

रिश्तो में इतना आक्रोश क्यों..? – रोनिता कुंडू

मां..! सुना क्या..? परिधि ने 12वीं में टॉप किया है… अब तो चाची के पैर ज़मीन पर ही नहीं पड़ेंगे… सुहासी ने अपनी मां रति से कहा… रति:  हां…! अब बेटे ने तो कभी कुछ नहीं किया… चलो बेटी से ही अपना नाम बटोरेगी तेरी चाची…. यह सब वहां बैठे, रति के पति अभय अखबार … Read more

महत्वाकांक्षा – अनुराधा श्रीवास्तव | family moral stories

“अरे मुक्ता, तुम्हारे बेटे का तो आज रिजल्ट आया है ना, कोैन सी रैंक आयी है, मन्टू की।’’ “हाॅं रमा भाभी आ गया रिजल्ट, सांतवी रैंक है क्लास में।’’ मुक्ता ने रमा को बता तो दिया लेकिन जानती थी कि वो आगे सिर्फ अपनी बेटी रिंकी की बड़ाई ही करने वाली है। “रिंकी तो क्लास … Read more

अब पछताए होत क्या? – मुकुन्द लाल

  अब पछताये होत क्या? (दूसरी और अन्तिम किश्त)   पल-भर के लिए पति-पत्नी असमंजस की स्थिति में अपने पुत्र के साथ खड़े रहे दरवाजे की ओट में। फिर बारी-बारी पति-पत्नी और पुत्र ने चन्दर के चरण-स्पर्श की औपचारिकता निभाई।  “कौन?…” फिर चश्मा संभालते हुए उसने कमलेश, माधुरी और वरुण को देखा।    उसके मुंँह से अनायास … Read more

छुई मुई या चंडी – संगीता अग्रवाल | family story in hindi

” देख देख कितनी सुंदर है वो !” कॉलेज कैंपस मे खड़ी रितिका अपनी सहेली शीना से किसी की तरफ इशारा करती हुई बोली। ” हाँ यार बिल्कुल छुई मुई सी है ये तो मानो कोई छू भी दे तो मैली हो जाये !” शीना उसकी तरफ देखते हुए बोली। कैंपस मे खड़े हर विद्यार्थी … Read more

आक्रोश – अविनाश स आठल्ये

क्या समझ रखा है तुमने प्रशासन को?कितना भ्र्ष्टाचार करोगे? कुछ ईमान धर्म बचा है या पूरा ज़मीर बेच खाये हो? श्रीवास्तव साहब ने “आक्रोश” से भरकर “बड़े बाबू”  मेश्राम की फ़ाइल को फेंकते हुये कहा… जी सर.. यहाँ तो ऐसा ही चलता था, पहले वाले SDM साहब भी ऐसी ही फाइलों में दस्तख़त कर दिया … Read more

 ज्योति की ज्वाला – पूनम अरोड़ा 

      यहाँ  उल्लेख  किए गए पात्रों  के नाम और स्थान काल्पनिक  हैं लेकिन  मनोभाव सत्य । अपने नाम  की तरह  ही खूबसूरती की प्रभा को उज्जवलित  करती ,दामिनी के समान स्फुरित चमक  की लहक से उदीप्त,  अनुपम, अद्भुत  सौन्दर्य  की स्वामिनी  थी “ज्योति” । साधारण सी आय वाले साधारण सी माता पिता की इकलौती संतान थी … Read more

बूढ़े माता-पिता अच्छे नहीं लगते – शुभ्रा बैनर्जी | motivation story in hindi

रागिनी अपनी ननद के बेटे के उपनयन संस्कार में दिल्ली आई थी। सास-ससुर एक महीने पहले ही आ चुके थे।सास को इस अनुष्ठान के विधि-विधान का अच्छा अनुभव था, इसलिए ननद ने जल्दी बुलवा लिया था।दस साल पहले रिटायर हो चुके ससुर के पास जमा-पूंजी के नाम पर कुछ विशेष नहीं बचा था।उनके घर का … Read more

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