शिव समा रहे हैं मुझमें और मैं शून्य हो रहा हूँ – कमलेश राणा

Post View 1,319 जीवन में एक वक्त ऐसा भी था जब मैं रात दिन दो रोटी की जुगाड़ के लिए संघर्षरत था तब हर कोई मेरा हमदर्द था, सहानुभूति के बोल मेरे लिए लोगों के मुख से सुनना जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके थे। न जाने सच में यह मेरे लिए उनके दिल … Continue reading शिव समा रहे हैं मुझमें और मैं शून्य हो रहा हूँ – कमलेश राणा