पार्टी हो जाए – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 98

पुष्पा के घर किटी पार्टी चल रही थी। पुष्पा की सारी सखियाँ अपने परिवार के साथ आई थीं। डिनर हो चुका था, पर पार्टी ख़त्म होने पर नहीं आ रही थी। अब बच्चे बोर हो रहे थे। उन्होंने आपस में खुसफुस की, फिर सबको सुना कर कहा, “हम आइस क्रीम खाने जा रहे हैं।” फिर … Read more

घंटी की आवाज – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 99

अनुज और दयाल स्कूल से घर आ रहे थे। घर तक शार्ट कट के लिए मैदान पार करते समय एकाएक दयाल लड़खड़ा गया। अगर अनुज ने हाथ न पकड़ा होता तो दयाल मुँह के बल गिर जाता। संभलकर वे जमीन की तरफ देखने लगे– जमीन पर एक डोरी पड़ी है। उसके दो छोरों पर छोटी-छोटी … Read more

वीरजी नाराज़ है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 100

एक था हाथी। जंगल में लकड़ियाँ ढोने का काम करता था। उसकी देखभाल करता था भीमा महावत। भीमा हाथी को प्यार से वीरजी कहता, वैसे वीरजी शांत स्वभाव का था, पर कभी-कभी किसी बात पर क्रोध आ जाता तो जोर से चिंघाड़ उठता। वीरजी की चिंघाड़ सुनकर जंगल में हलचल मच जाती। परिंदे डरकर पंख … Read more

आओ पार चलें – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104436.080

तेज बरसात हो रही थी। भीखू मल्लाह अपनी नौका पर छाजन के नीचे सिमटकर बैठा था। छाजन चारों ओर से खुला था। बूँदों की बौछार भीखू को भिगो रही थी। लेकिन वह क्या करता और कोई उपाय भी तो नहीं था। भीखू का घर नदी के पार था। सोच रहा था, “आज का दिन तो … Read more

गुरु दक्षिणा – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104516.742

ज्ञानदास विद्वान था, लेकिन स्वभाव का गुस्सैल। किसी से नहीं पटती थी। अपने स्वभाव के कारण कई जगह से नौकरी छोड़ चुका था। अपने पर बहुत काबू करने का प्रयास करता, लेकिन फिर भी क्रोध हावी हो ही जाता। घर में पत्नी से लड़ता रहता। नियमित नौकरी न होने से घर में तंगी रहती थी। … Read more

पानी नहीं चाहिए – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T104818.633

गाँव में मीठे पानी के अनेक कुएँ हैं पर गाँव से कुछ दूर एक पुराना कुआँ है सूखा हुआ। लोग सदा से कुएँ को वैसा ही देखते आ रहे हैं। कुएं के पास ही एक घना पेड़ है। उस रास्ते से गुजरने वाले पथिक पेड़ की घनी छांह की सराहना करते हुए यह कहना नहीं … Read more

अकेला ही काफी हूं – नेकराम Moral Stories in Hindi

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हमारी श्रीमती रोज की तरह फिर मुझसे आज बोली,, हमारे बगल वाली पड़ोसन आज फिर रो रही थी दो सप्ताह से उसकी बेटी सितारा घर नहीं लौटी किसी लड़के ने प्यार के जाल में फंसा कर उसे नकली शादी कर ली और न जाने उसे कहां ले गया सितारा का फोन भी स्विच ऑफ जा … Read more

नेकराम की नई गुल्लक – नेकराम Moral Stories in Hindi

New Project 39

मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देखकर हमारी श्रीमती बोली तुम मुंह लटकाए क्यों बैठे हो क्या हुआ,, छत से जरा से कपड़े लाने में थक गए हो क्या ,, मैंने मोबाइल दिखाते हुए कहा,, मोबाइल पानी के टब में गिरकर गीला हो गया शाम को ड्यूटी भी जाना है मोबाइल की जरूरत पड़ती है सातवीं कक्षा … Read more

रामपाल की जमीन – नेकराम Moral Stories in Hindi

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उन दिनों में एक सेंटमार्क पब्लिक स्कूल का सिक्योरिटी गार्ड था स्कूल में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी पढ़ते थे उस स्कूल का मालिक अमीरचंद बहुत अमीर था ,,,,, स्कूल के गेट पर डंडा लिए मैं कुर्सी पर हमेशा बैठा रहता था वेतन भी ठीक-ठाक मिल जाता था नाइट वाले गार्ड की … Read more

पत्नी का मायका – नेकराम Moral Stories in Hindi

New Project 41

मैंने दीवार की कील पर लटकी घड़ी की तरफ देखते हुए कहा शाम के 7:00 बज चुके हैं जल्दी खाने का टिफिन थैले में रखो श्रीमती जी रसोई में खड़ी खाना बांधते हुए बोली कई महीने हो गए मायके की शक्ल तक नहीं देखी मां का फोन स्विच ऑफ जा रहा है मैंने खाने का … Read more

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