एक था पहाड़-एक है पहाड़ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 86

इस कहानी के अंदर हैं हम लोग,राक्षस और एक परी | आइये पढ़ते,सुनते और लिखते है इस कहानी को | पहाड़ -जिसे हम सबने मिल कर बनाया है| आप कहेंगे -यह कैसी अजीब बात, पहाड़ों को तो प्रकृति ने बनाया है धरती की दूसरी सब चीजों की तरह,जैसे समुद्र,जंगल,नदियां- मेरा मतलब इस धरती पर जो … Read more

जोकर काम पर – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 87

सड़क पर काम चल रहा है। सड़क का एक हिस्सा नीचे धंस गया है। गड्ढा खोदकर उसे घेर दिया गया है। लोहे के बोर्ड लगा दिए हैं, जिन पर लिखा है-‘ सावधान, आदमी काम पर हैं।’ इसलिए सड़क संकरी हो गई है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए सिपाही रामभज की ड्यूटी लगा दी गई … Read more

माँ साथ थी – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 88

सरना सेठ ध्यानचंद का विश्वासी नौकर था। हर समय उनके आस-पास रहता क्योंकि उसे मालूम था कि न जाने कब आवाज पड़ जाए। उसे एक पल का भी आराम नहीं था, पर सरना को कोई शिकायत नहीं थी। एक दिन की बात, आकाश में बादल घिरे थे। सरना हवेली की छत पर बैठा था। ध्यानचंद … Read more

जन्मदिन अखबार का – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 89

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके … Read more

बहुत प्यास लगी है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 91

एक था चोर। उसका नाम नहीं मालूम। वैसे नाम कुछ भी हो ,वह कहीं का रहने वाला हो ; क्या इतना काफी नहीं कि वह एक चोर था। हाँ तो रात में जब सब नींद की गोद में आराम कर रहे थे, तब वह जाग रहा था। उसका इरादा चोरी करने का था। और फिर … Read more

गेंद का बचपन – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

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जया की रमा दादी पूजा कर रही थीं। रविवार का दिन था, घर के सब लोग बाहर गए थे, नीचे बच्चे शोर मचा रहे थे, इसलिए दादी का ध्यान बार बार भटक जाता था। तभी झन्न की आवाज के साथ पूजा की थाली उलट गई। जलता दीपक बुझ गया, पूजा की सामग्री बिखर गई। बच्चों … Read more

आम का स्वाद – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 94

“अजय, आज घर पर ही रहना। अपने दोस्तों के साथ खेलने मत जाना। दादी अकेली हैं, उनका ध्यान रखना।” कहकर अजय के पापा अविनाश बाहर चले गए। अजय को पता था कि आज मम्मी अस्पताल गई हैं। पापा कह रहे हैं—जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। वह खबर क्या होगी, इसे अजय समझता है। … Read more

टूटा पंख – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 95

एक था किसान। तेज धूप में भी खेत में मेहनत कर रहा था। खेत के किनारे एक पेड़ था हरा-भरा, छायादार। पेड़ की ओर देखता तो मन करता कुछ देर आराम कर ले। पर फिर सोचता, “बस थोड़ा काम और निपटा लूँ, तब आराम करूँ।” तभी दो घुड़सवार वहाँ आकर रुके। घोड़े थकान और गर्मी … Read more

दही की करामात – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 96

राजा विजयसिंह भोजन कर रहे थे। ऐसा बहुत कम होता था कि राजा को एकांत में भोजन का अवसर मिले। वह हमेशा ही व्यस्त रहते थे। हर समय राज्य के बड़े अधिकारी कोई न कोई काम लेकर उनके पास आते ही रहते थे। आज रानी जयवंती ने अपने हाथों से विजयसिंह का मनपसंद पकवान बनाया … Read more

जंगल में रोटी – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

New Project 97

हरदीप सेठ बेटे प्रताप के साथ किसी काम से अपने पुश्तैनी गाँव जा रहे थे। दोनों घोड़ों पर सवार थे। हरदीप काफी पहले शहर में आकर व्यापार करने लगे थे। वहीं बड़ा मकान बनवा लिया था। पर बीच में जब भी समय मिलता गाँव जा पहुँचते। पुराने लोगों से मिलने और अपनी पुश्तैनी हवेली में … Read more

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