नया मैनेजर – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 45

किशनलाल को बैंक में चपरासी की नौकरी करते हुए 14 साल बीत चुके थे बैंक का ताला खोलना और लगाना उसी का काम था लेकिन आज उसका मन बहुत घबरा रहा था अभी तक तो सब ठीक चल रहा था  अब न जाने क्या होगा आगे वह कुर्सी पर बैठे-बैठे एक गहरी सोच में डूबा … Read more

लता दीदी को सलूट है – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 98

रोज की तरह मैं नाइट शिफ्ट वाली ड्यूटी पर आकर खाली पड़ी चेयर पर बैठ गया रात होते होते मोहल्ले की सभी दुकानों के शटर धीरे-धीरे बंद होने शुरू हो चुके थे मौसम भी सर्द था इसलिए लोगों का आना-जाना भी बहुत कम था सामने ही मेंन रोड है जिस पर वाहनों का आना-जाना लगा … Read more

निकम्मी औलाद – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 66

अम्मा रात के 11:00 बज गए बाबूजी अभी तक काम से नहीं लौटे तब अम्मा बताने लगी कारखाने में फोन कर के पूछ लिया तुम्हारे बाबूजी सुबह कारखाने पहुंचे ही नहीं तुम लोग घर पर ही रहो मैं थाने जाकर रिपोर्ट लिखवा कर आती हूं इतना कहकर अम्मा घर से बाहर निकल गई बड़ा भाई … Read more

जीवन का रंग मंच – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 34

शहर की ऊंची ऊंची इमारत से कुछ दूरी पर एक छोटी सी कच्ची बस्ती थी उस बस्ती में सबसे छोटा मकान सरजू लाल का था वह अपनी पत्नी मायावती और अपने 7 बर्ष के बेटे ढिल्लू के साथ हंसी-खुशी दिन बिता रहा था ढिल्लू सरकारी स्कूल में पढ़ता था और पढ़ने लिखने में बहुत तेज … Read more

मेरी बड़ी बहन का दरिया दिल – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 94

पत्नी ने रसोई में पराठे बनाते हुए कहा , ,,,  सुनो जी अपनी शादी को एक साल पूरा हो चुका हैं आखिर हम बाबूजी पर निर्भर कब तक रहेंगे अब तुम्हें भी नौकरी करनी चाहिए दो पैसे कमाकर लाओगे तो बाबूजी को भी सहारा हो जाएगा पत्नी की बात सुनकर पहले तो मैं निराश हो … Read more

सामने वाला पार्क – नेकराम : Moral Stories in Hindi

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मैं घर के नजदीक ही एक मेडिकल शॉप में काम करता था रात को जब भी घर लौटता पत्नी का चेहरा फूला हुआ देखता न जाने वह किस बात को लेकर गहरी चिंता में डूबी रहती थी शादी को 7 साल बीत चुके थे शादी के शुरूआती दिनों में तो मैंने पत्नी की इस बात … Read more

नेकराम की जलेबी – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

स्कूल से छुट्टी करके घर लौटा ही था की अम्मा दरवाजे का ताला लगाकर चाबी पड़ोसन को देते हुए कह रही थी जब नेकराम आए तो उसे चाबी दे देना मगर मुझे देखते ही कहा,, नेकराम तू आ गया,, बस्ता अपनी कमला आंटी को दे दे और मेरे साथ चल जल्दी कमला आंटी ने झट … Read more

पुरुषों में गलतफहमी आखिर क्यों – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 94

दुकान का शटर लगाकर मैं बाबूजी के साथ घर की तरफ चल पड़ा रास्ते में बाबूजी बता रहे थे नेकराम अब किराने की दुकान में बिल्कुल भी कमाई नहीं रही दुकान का अधिक किराया और ग्राहकों कि उधारी ने सारी दुकान चौपट कर दी है तेरी शादी का कर्ज अभी कुछ शेष रह गया है … Read more

दुनिया के सबसे कठिन काम – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 57

पत्नी ने खाना परोसते हुए कहा आखिर ऐसे कब तक चलेगा अपनी बेटी प्रियंका एक वर्ष की हो चुकी है और तुम्हें अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली ,, मैं कितना खींचतान करके घर चला रही हूं मायके से भी अब मदद मिलनी बंद हो चुकी है आज के जमाने में परिवार चलाने के लिए … Read more

मिर्ची वाले भटूरे — – नेकराम : Moral Stories in Hindi

New Project 69

हमारे मोहल्ले में साप्ताहिक बाजार लगता है शाम को थैला लेकर बीवी के पीछे-पीछे चलना मेरी हमेशा से ही आदत रही है बीवी हमेशा आगे आगे चलती सब्जी का मोल भाव करती और खरीद लेती मेरे पास जो थैला रहता उसमें सब्जियां रख देती यही हमारा हर सप्ताह का नियम था उस दिन भी साप्ताहिक … Read more

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