स्साली…..मुझसे जबान लड़ाती है,कहते हुए रणबीर ने अपनी पत्नी रक्षिता के गाल पर एक जोरदार तमाचा रसीद कर दिया। तमाचा इतनी जोर का पड़ा था कि रक्षिता बिलबिलाती हुई नीचे गिर पड़ी। उसकी आंखों से आश्रुधार बह चली। रक्षिता को भद्दी भद्दी गालियां देता हुआ रणबीर घर से बाहर निकल गया।
ये कोई आज की पहली घटना नहीं थी, आए दिन रणबीर रक्षिता से मारपीट करता और अय्याशी करने निकल जाता।
रक्षिता……जिसके माता पिता एक एक्सीडेंट की भेंट चढ़ गए थे जब वो मात्र तीन साल की थी। ताऊ और ताई की छत्रछाया में पली बढ़ी रक्षिता को स्कूल का मुंह तक देखने को नहीं मिला। जब वो अपने ताऊ और ताई के बच्चों को पढ़ते देखती ,उसके मन में भी पढ़ने की ललक जाग उठती लेकिन उसके अरमानों को कौन पूरा करता। उसकी ख्वाहिशों को पूरा करने वाले तो उसको नितांत अकेला छोड़ कर अनंत में विलीन हो चुके थे।
जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था कि उसकी सुंदरता के चर्चे गली मुहल्ले में होने लगे। ताऊ और ताई घबराए कि कहीं लड़की कोई गलत कदम न उठा ले। मात्र सत्रह वर्ष की आयु में ही जब उन्हें रक्षिता के लिए बिना दान दहेज उसको ब्याह कर ले जाने वाला वर मिल गया तो उन्होंने आनन फानन में रक्षिता और रणबीर को परिणय सूत्र में बांध दिया।
रणबीर द्वारा आए दिन की गई मारपीट से तंग आकर आखिर एक दिन रक्षिता रणबीर के घर से बाहर जाते ही पड़ोस में रहने वाली सविता के पास पहुंच गई। सविता अभी खुद दसवीं में पढ़ती थी । जब रक्षिता ने कातर आवाज में कहा – दीदी, क्या आप मुझे भी लिखना पढ़ना सिखला दोगी? तो सविता ने गर्दन हिलाकर सहमति दे दी। बस उसी दिन से रक्षिता ,सविता से पढ़ने उसके घर जाने लगी।
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सविता की मम्मी जो स्वयं एक सरकारी स्कूल की अध्यापिका थीं उन्होंने रक्षिता के अंदर अनंत संभावनाएं देखीं और उसको पढ़ाने का जिम्मा उन्होंने खुद उठा लिया। हां, ये पढ़ाई लिखाई का कार्यक्रम रणबीर की अनुपस्थिति में ही होता।
समय के साथ और सविता की मम्मी के सहयोग से रक्षिता ने दसवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर ली। सविता की मम्मी की अनुशंसा पर रक्षिता की नियुक्ति एक आंगनबाड़ी केन्द्र पर हो गई। पढ़ लिखकर रक्षिता अब अपने पैरों पर खड़ी हो गई। रणबीर को जब इस बाबत पता चला तो पहले तो उसे बहुत गुस्सा आया,वो खुद अनपढ़ था और मजदूरी करता था। लेकिन अब उसे अपने अनपढ होने पर अफसोस होने लगा।
एक दिन जब रक्षिता आंगनबाड़ी से लौट रही थी, तभी रणबीर की भी छुट्टी हुई थी। ये सोचते हुए कि दोनों साथ साथ घर चलेंगे, रक्षिता रणबीर की साइट पर चली गई। वहां जब उसने देखा कि मुनीम 250 रुपए पर दस्तखत करवाकर रणबीर को 200रुपए ही दे रहा है तो उसने रणबीर को ये बात बताई और इसका विरोध किया।
अब रणबीर को शिक्षा का महत्व समझ आने लगा था। वो भी पढ़ने को लालायित हो उठा। और उसकी इस लालसा को भी सविता की मम्मी ने ही उसको प्रौढ़ शिक्षा केंद्र भेजकर पूरा किया।
रीता गुप्ता ‘ रश्मि ‘
कोटा