संदेह का घेरा –    मुकुन्द लाल

Post View 4,154   जयंत ने बेवजह अच्छी खासी बनी हुई मूर्तियों को डंडे के वार से तोड़ दिया। उसकी पत्नी पुष्पा पहले हैरत से देखती रह गई, फिर वह सहन नहीं कर पाई, वह उबल पड़ी, ” पागल हो गये हो? दिमाग खराब हो गया है, क्यों तुमने मूर्ति तोड़ दिया?”   “हांँ!… मैं तोड़ दूँगा!… … Continue reading   संदेह का घेरा –    मुकुन्द लाल