समझदार -अनुज सारस्वत

Post View 3,719 “आकृति आखिरी बार कह रहा हूँ मान जाओ ,तुम्हारे चक्कर में कितना किया है मैने ,अपना शहर छोड़कर तुम्हारे शहर में कोर्स करने के बहाने आया ,चार साल का रिलेशन है ,तुम्हें बहुत चाहा है मैनें और तुम कह रही हो अब कोई रिलेशन नही रखना तुम्हें करियर बनाना है ,अपने घर … Continue reading समझदार -अनुज सारस्वत