Post View 107,167 वृद्धाश्रम के दरवाजे पर ही पिता रमानाथ जी को उतार कर राजन चलने लगा तो वृद्ध अशक्त पिता ने कोई शिकायत नहीं की बस आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से हमेशा की तरह सदा खुश रहो बेटा का आशीष जरूर दिया जिसे सुनने के लिए बेटा राजन रुका ही नहीं….तुरंत कार … Continue reading सही राह – लतिका श्रीवास्तव
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