Post View 258 चित्रा जी ने देखा उनका सामान बेटे ने कार में रख दिया है और ड्राइविंग सीट पर बैठा उनका ही इंतजार कर रहा है, नम आंखों से उन्होंने अपने घर को नजर भर के देखा, जाने कितनी खट्टी- मीठी यादें आंखों के सामने चलचित्र की भांति चलने लगी थी। दुल्हन बनकर आई … Continue reading “सफरनामा” – कविता भड़ाना
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