Post View 2,476 सुबह आँख खुली तो सामने तांबे-सा लाल सूरज अपनी आँखें खोल रहा था । यही वक्त था जब उसकी आँख से आँख मिलाई जा सकती थी । हमारी नज़रें मिलीं भी । कुछ जाना-पहचाना-सा लगा सूरज । आज सूर्योदय देखकर मुझे अपना बचपन याद आने लगा । इतने करीब से सूरज को … Continue reading सफ़र पीहर का – पूनम वर्मा
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