Post View 307 चारों और काले काले बादल। तेज बरसती सावन की झड़ी, ठंडी ठंडी मदमस्त हवाएं। मौसम तो बहुत सुहावना था, पर बरसात में भीग कर आए हुए ओम प्रकाश जी को किसी की याद दिला कर रुला रहा था। उन्होंने अपने कपड़े बदले, गीले कपड़े रस्सी पर डालें और तौलिए से सिर पोंछते … Continue reading सावन की झड़ी – गीता वाधवानी
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