रूधिरा एक छलावा ” – रीमा महेंद्र ठाकुर
Post View 469 “समन्दर की लहरें उफान पर थी” छोटे छोटे पत्थरो के ऊपर से गुजरते हुए एक बच्चा तेजी लहरों की ओर बढ रहा था “ बेटा, ज्यादा तेज मत भागो “कंक्रीट है चुभ जाऐगी” पीछ से मां आवाज लगा रही थी! नो मम्मा “” सूज है न, बच्चा रुककर “पैर ऊपर उठाकर माँ … Continue reading रूधिरा एक छलावा ” – रीमा महेंद्र ठाकुर
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