रिश्ते प्यार से चलते हैं ना की मजबूरी से -मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“बस बहुत हो गया संपदा••! तुझे अब वहां जाने की जरूरत नहीं! संपदा की मां सुमित्रा जी गुस्से से  बोलीं ।

 ‘मां!आप सही कहती थीं कि मुझे अनिकेत से शादी नहीं करनी चाहिए! अब मैं पछता रही हूं! कहते हुए संपदा रोने लगी।

 बस बेटा! अभी कुछ नहीं बिगड़ा है सब कुछ छोड़-छाड़ के यहां रह जा!

 पर मां! मेरे पेट में जो बच्चा है उसका क्या ?संपदा अपने आंसू पोंछते हुए बोली। 

बच्चे का क्या होगा••? यह कैसी बातें कर रही है तू••? तभी संतोष जी ऑफिस से आते हैं और संपदा से पूछते हैं ।

पापा! आज सारांश से मेरी बहस हो गई••उसके बाद संपदा संतोष जी से अपनी आपबीती सुना देती है ।

 हम सब ने तुझे पहले ही कहा था कि•• मत कर शादी•• पर तू तो प्यार में इस तरह अंधी हो गई कि तुझे और कुछ दिखा ही नहीं! अब भुक्तो  उन गवारों को!

 संतोष जी उत्तेजना में बोले। अच्छा••क्यों सहेगी यह उन दो कौड़ी के लोगों की बातों को? क्या हमने इसलिए इसे इतना पढ़ा लिखा है कि चुपचाप सहती रहे••? 

मेरी बेटी किसी की मोहताज नहीं अपने पैरों पर खड़ी है! सुमित्रा जी भरक उठीं !

देख संपदा तेरे अच्छे बुरे का हमसे ज्यादा कोई नहीं सोचेगा तू अब वहां नहीं जाएगी !

पर मां••

 पर-वर कुछ नहीं! तुम्हारी मां सही कह रही है! हममें इतनी शक्ति है कि अपनी बेटी और उसके होने वाले बच्चे का जिंदगी भर पालन-पोषण कर सकते हैं ! संतोष जी बेटी के सर पर हाथ रखते हुए बोले!

 संपदा पापा से लिपट गई। 

अभी साल ही हुए थे शादी को•• पर ऐसा क्या हुआ कि अचानक संपदा ससुराल छोड़कर मायके आ गई आईए जानते हैं:-

 संपदा और सारांश एक ही बैंक में जॉब करते थे। सारांश ‘क्लर्क’ और संपदा ‘ऑफिसर’के पद पर विराजमान थी। दोनों के ब्रांच अलग-अलग थे। 

पहली बार ऑफिस के किसी प्रोग्राम में दोनों मिले ।

संपदा सारांश के भोलेपन से इतनी प्रभावित हुई कि दोनों  गहरे दोस्त बन गए । धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। जब यह बात संपदा के मम्मी-पापा को पता चला तो:-

“तुम एक पढ़ी-लिखी लड़की हो और हमारे घर का ‘स्टेटस’ तुम्हें पता है! भाई तुम्हारा “इंडियन आर्मी “में लेफ्टिनेंट है! मैं खुद “चार्टर एकाउंटेंट” और  तुम्हारी मां इनकम टैक्स ऑफिसर हैं ! 

  अभी तुम्हें अपनी सिविल सर्विसेज की तैयारी में ध्यान देना चाहिए और तुम कहां इस शादी-वादी के चक्कर में फंसना चाहती हो•• और वह भी ऐसे घर में जहां तुम खुद नहीं बर्दाश्त कर पाओगी!  संतोष जी बेटी को समझाने लगे।

 पापा अफकोर्स मुझे आगे की तैयारी करनी है जैसा आप सबको पता है कि यह नौकरी मेरे लिए एक ‘सपोर्ट जॉब’ है•• ना कि मुझे इसी संस्थान से जुड़ा रहना है लेकिन••

 लेकिन क्या ?

पापा मैं सारांश को बहुत पसंद करती हूं! उसके साथ ही अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूं••पर इस प्रॉमिस के साथ कि शादी के बाद भी मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूंगी! एक बार आप मेरे ऊपर भरोसा करके देखें!  

एक बार अपनी निर्णय पर विचार कर लें कि क्या वह तेरे बराबरी का है? क्या तू वहां खुश रहेगी•• जो सुख सुविधा हम तुझे बचपन से देते आ रहे हैं क्या वे लोग तुझे दे पाएंगे? 

सुमित्रा जी जो अब तक चुप बैठीं थीं बोल पड़ी। 

मां पापा मैं सब मैनेज कर लूंगी! आप बस शादी के लिए हां•• कर दीजिए! 

 

अब तुम्हारी यही जिद है तो यही सही! कौन-कौन है उसके घर में? संतोष जी पूछे ।

पापा! सारांश के पापा सरकारी जॉब करते थे जो अब रिटायर हो चुके हैं ! मां हाऊसवाइफ और 

इसका एक बड़े भाई स्कूल में टीचर हैं और अपनी वाइफ के साथ दूसरे शहर रहते हैं!  एक  बहन जिसकी शादी हो चुकी है! एक सांस में ही संपदा सब कुछ कह गई।

 ठीक है कल सारांश और उसके मम्मी-पापा को यहां बुला ले ! भौंहें  चढ़ाते हुए सुमित्रा जी बोलीं।

 थैंक यू मां-पापा! लव यू! कहते हुए खुशी से संपदा वहां से चली गई!

 दूसरे दिन शाम में दोनों परिवार की मीटिंग हुई! घर पहुंचने के बाद:-

 सारांश एक बार फिर से सोच ले क्या संपदा तेरे लायक है? क्या वह इस घर में एडजस्ट कर पाएगी? पिता अनिल जी सारांश से वही सवाल पूछे जो संपदा के पापा ने संपदा से पूछा था पर फर्क सिर्फ इतना का था कि••एक जगह अमीरी का ‘चश्मा’ लगा था और दूसरी जगह गरीबी की 

‘तराजू’।

हां पापा! मानता हूं कि•• वह अमीर और हाई प्रोफाइल घर से है पर हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और मुझे विश्वास है कि वह हमारे घर में एडजस्ट कर जाएगी! ऐसा मेरा मानना ही•• नहीं बल्कि पूरा विश्वास है! सारांश उन्हें विश्वास दिलाने की कोशिश करता है। 

अनिल जी संभावित घटना को नजरअंदाज कर बेटे की बात मान जाते हैं और दोनों की शादी एक अच्छे तारीख में हो जाती है ।संपदा अपने ससुराल आ जाती है। 

2 महीने बाद ही उसका यूपीएससी का एग्जाम होने वाला रहता है और इस बात को सारांश के मम्मी-पापा भली-भांति जानते थे इसलिए वो संपदा को कभी भी, किसी काम के लिए या किसी चीज के लिए डिस्टर्ब नहीं करते! यहां तक की उसका खाना,नाश्ता सारांश की मम्मी ‘मधु जी ‘कमरे में ही पहुंचा जाती।  देखते-देखते 2 महीने कैसे गुजर गए पता भी ना चला और आज उसका एग्जाम खत्म हो गया था घर आते ही संपदा काफी एक्साइटेड थी।  एग्जाम्स के चक्कर में•• हमने अपना ‘हनीमून’ भी नहीं मनाया चलो कहीं चलते हैं! संपदा सारांश से लिपटते हुए  बोली ।

हां जरूर! जगह तुम डिसाइड करो मैं फटाफट बुकिंग करवाता हूं सारांश बोला।

जगह डिसाइड करके दोनों हनीमून पर चले गए। 

7 दिन बाद जब वह लौटें तो दूसरे ही दिन संपदा अपनी मां के घर चली आई। 

उसको अपने मायका गए एक महीना से ज्यादा हो गया ।ऑफिस भी वह वहीं से जाने लगी। 

अब सारांश रोज कॉल करता है कि घर कब आओगी। कहो तो कल मैं तुम्हें लेने आ जाऊं। 

नहीं नहीं•• मैं खुद चली आऊंगी। अभी कुछ दिन आराम कर रही हूं। थोड़ा एग्जाम का स्ट्रेस था। ऐसा कह कर वह बात टाल जाती।

एक दिन :-

बेटा!जब से बहु हनीमून से आई तब से वह मायका में ही है!जाकर उसे ले आ! मधु जी बोलीं।

 संपदा! आज “मैं तुम्हारे घर तुम्हें लेने आ रहा हूं” सारांश सुबह-सुबह संपदा को कॉल करता है।

 आज शाम तक मैं खुद आ जाऊंगी! तुम्हें आने की जरूरत नहीं कहते हुए उसने फोन रख दिया।

 घर के सभी सदस्य बहुत खुश थे पूरे डेढ़ महीने बाद बहू घर आ रही थी। आज खाना भी संपदा के पसंद से ही बन रहा था।

अरे बेटा तू इतनी दिन क्यों रह गई अब तेरा घर यही है••!

 देख सारांश तुझे कितना मिस कर रहा था !मधु जी बड़े प्यार से बहू से बोलीं।

 तो क्या करूं मम्मी? यहां वो सब फैसिलिटी नहीं•• जो मुझे वहां मिलती है!

 क्या दिक्कत है बेटा?

 संपदा बिना बताए अपने कमरे में चली गई ।

कोई ऐसे बोलता है क्या मां से? सारांश संपदा को समझाते हुए बोला ।

मैंने क्या गलत बोला? आंखें बड़ी करती हुई संपदा बोली।

वह तो तुम्हें बहुत प्यार करती हैं और तुमने उनसे बेरुखी से बात की! 

क्योंकि मुझे ये शादी करनी ही नहीं थी!

    शादी तो हम दोनों की मर्जी से हुई थी ना? यह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं! सारांश बोला।

चलो छोड़ो•• इन सब बातों से कोई फायदा नहीं कहते हुए संपदा मुंह फेर कर सो गई।

 उस दिन के बाद वह एकदम उखड़ी-उखड़ी सी रहने लगी।

  एक दिन उसे पता चला कि वह “मां” बनने वाली है तो एक बार मन में आया कि यह बच्चा गिरा दे पर दूसरी तरफ उसके हृदय में ममता जाग उठी। 

घर में खुशी का माहौल था ।इसी बीच मधु जी की अचानक बीपी बढ़ जाने से तबीयत खराब हो गई। और वह चक्कर खाकर गिर पड़ी।

  ‘आप अभी एकदम नहीं उठेगीं! चुपचाप लेटे रहिए!

खाना मैं और आपकी बहू मिलकर बना लेंगे! सारांश मां को कमरे में लेटाते हुए बोला।

तू संपदा को परेशान मत कर वह पेट से है जा•• पापा के साथ मिलकर खाना बना ले!

 अरे मां बहू के रहते पापा किचन में काम करेंगे? आप आराम करो! कहते हुए सारांश संपदा के कमरे में जाता है जहां वह मोबाइल देख रही होती है।

 ‘डार्लिंग चलो किचन में मेरी मदद करा दो मां की तबीयत खराब हो गई है!

  मुझसे नहीं होगा कोई काम-वाम! खुद कर लो!

संपदा ने तपाक से जवाब दिया।

    मुझे नमक मसाले का अंदाज नहीं! 

 मैंने कौन सा खाना बनाया है? तुम्हें भी यह पता है!

 अगर बनानी है तो खुद बना लो नहीं तो होटल से मंगवा लो! कहते हैं वह फिर से अपने काम में लग गई ।

तुम इतनी निर्दय कैसे हो सकती हो•• क्या तुम्हारे दिल में थोड़ा भी प्यार नहीं? 

जबरदस्ती की एक हद होती है तुम सारे फैमिली की आदत है पीछे पड़ने की! क्यों मेरे पीछे पड़े हो?

 मैं भी कितना बेवकूफ था कि तुमसे शादी की! कहते हुए सारांश जाने लगा ही था कि 

 तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बात बोलने की ?गलती मुझसे हुई कि तुम जैसे गवार, लीचर के साथ शादी करी। ठीक ही रहते थे मेरे पेरेंट्स कि मैं इस घर में एडजस्ट नहीं कर पाऊंगी! 

संपदा धीरे बोलो मां-पापा सुन लेंगे! 

सुनने दो आखिर उन्हें भी पता चले कि एक नौकर रखने की उनमें औकात नहीं••और मुझे नौकरानी बनाना चाहते हैं !

मुझे तो लगता है कि तुम्हारी मां ने ही तुम्हें ,मुझसे काम करवाने के लिए बोला होगा!  

चुप हो जाओ अपनी औकात अमीर हो संपदा•••! कहते हुए सारांश का हाथ उठ जाता है परंतु वह कंट्रोल कर लेता है ।

तुम्हारी इतनी हिम्मत तुमने मुझ पर हाथ उठाया?  कहते हुए वह फटाफटअपनी पैकिंग शुरू कर देती है और साथ ही साथ  ‘कैब बुक’भी कर लेती है।

  सारांश और उसके मम्मी-पापा उसे समझाने की बहुत कोशिश करते हैं परंतु वह वहां से चली जाती है। 

बेटा पति-पत्नी के बीच तो लड़ाई होते रहती हैं जा माना ले बहू को•• ! कुछ दिन बाद मधु जी ने बेटे को समझाया।

 मां आपको क्या लगता है कि•• मैने उसे मनाने की कोशिश नहीं की? रोज उसे फोन करता हूं लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं !और कभी-कभी तो मेरा फोन भी नहीं उठाती! उसके मम्मी-पापा उसके सपोर्ट में खड़े हैं!

 एक दो बार मैंने उससे ऑफिस में भी मिलने की कोशिश की, परंतु उसने मिलने से मना कर दिया!

4 महीने बाद संपदा ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया जब यह बात सारांश के परिवार को पता चला तो वे लोग काफी खुश हुये।  और एक बार फिर ,वो संपदा को  घर लाने के लिए सारांश पर दबाव डालने लगे ।

 छोटी-छोटी बातों को कोई दिल से लगा कर रखता है क्या? लौट आओ! मैं तुमसे माफी मांगता हूं! तुम जैसा बोलोगी मैं वह करूंगा!  पूरे परिवार की इच्छा है कि तुम घर वापस आ जाओ। 

इससे पहले की संपदा कुछ बोल पाती सुमित्रा जी ने फोन लेते हुए बोला•••

हां हां आ जाइए ना••संपदा को लेने के लिए!परंतु आपको हमारे बेटी के पैरों पर नाक रगड़नी होगी !

उस समय सारांश की बहन रीमा ससुराल से आई हुई थी जब उसने भाई की बेज्जती होते हुए सुना तो :-

” भाई इस दिखावे की शादी और तुम्हें ऐसी बेइज्जती वाली जिंदगी जीने से क्या फायदा? 

एक बार वहां जाओ भाभी से पूछो वह अगर प्यार से मान जाती है तो ठीक है और नहीं तो•• तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाओ! प्रमोशन लो और यहां से चले जाओ!

 मां ! रीमा सही कह रही है••अब मैं और जलील नहीं होना चाहता! 

एक आखिरी कोशिश वह संपदा को घर लाने के लिए करता है । प्लीज दिखावे की शादी से कोई फायदा नहीं एक्चुअली मुझे शादी करनी नहीं चाहिए थी !गलती मेरी तरफ से ही है! मेरा एंबीशन कुछ और ही है! ” आई एम सॉरी”! तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो और मुझे भूल जाओ! और हां रही बात बच्चे कि तो

 तुम्हारी जब मर्जी हो तुम बच्ची से मिल सकते हो! संपदा सारांश से बोली।

 क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है ••?

हां सारांश यह मैंने बहुत सोच समझ के फैसला लिया है!

 ठीक है वैसे भी इस इस #दिखावे की जिंदगी से क्या फायदा? जैसा तुम उचित समझो! कहते हुए सारांश निकल गया ।

आज दोनों अतीत को भूलाकर अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं। 2 साल बाद संपदा ने यूपीएससी कंप्लीट कर ली।

  और इधर सारांश भी  प्रमोट हो गया। और मां-बाप के जिद से उसने दूसरी शादी कर ली।  

दोस्तों दोनों ने प्यार में पड़कर शादी की•• और जब संपदा वहां रहने लगी तो उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा कि शायद हमारे स्टेटस के विपरीत शादी हुई है मानती हूं कि यहां गलती हंड्रेड परसेंट संपदा की है उससे पहले ही इस बात को सोचना चाहिए था क्योंकि कभी-कभी हमारी अपब्रिंगिंग भी मैरिड लाइफ में प्रभाव डालती है ।परंतु एक बात तो अच्छी रही कि दोनों ने अपने-अपने रिश्ते को जबरदस्ती खींचा नहीं••• और समय रहते अलग हो गए ।अगर ऐसा ना होता तो कोई  घटना घटित होती। कृपया मुझे कमेंट में बताएं कि क्या संपदा का निर्णय सही था और सारांश को संपदा की बात नहीं माननी चाहिए थी•••?

आजकल ऐसी घटनाएं  बहुत घटित हो रही है । आप लोगों की क्या राय है ••? जरूर बताइए! कहानी पसंद आए तो शेयर लाइक्स जरूर कीजिएगा धन्यवाद।

 मनीषा सिंह।

#दिखावे की जिंदगी

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