पुरुषों में गलतफहमी आखिर क्यों – नेकराम : Moral Stories in Hindi

दुकान का शटर लगाकर मैं बाबूजी के साथ घर की तरफ चल पड़ा रास्ते में बाबूजी बता रहे थे नेकराम अब किराने की दुकान में बिल्कुल भी कमाई नहीं रही दुकान का अधिक किराया और ग्राहकों कि उधारी ने सारी दुकान चौपट कर दी है तेरी शादी का कर्ज अभी कुछ शेष रह गया है कर्ज कैसे उतरेगा कुछ समझ नहीं आ रहा है

मैं बाबूजी की बातें सुनते सुनते घर पहुंच गया

घर के बाहर एक कार खड़ी हुई थी ठीक हमारे आंगन के सामने कार देखकर मैंने बाबूजी से कहा अपने रिश्तेदार तो बहुत गरीब हैं फिर यह कार किसकी है

बाबूजी ने बताया घर के भीतर चलने के बाद ही पता चलेगा कार

किसकी है

मैं बाबूजी के साथ घर के भीतर पहुंचा तो  हमारे एक पलंग पर एक सेठ बैठे हुए थे

उन्होंने उठकर तुरंत बाबूजी से कहा आपका नाम गोपाल है

बाबूजी ने हा भरते हुए कहा मेरा नाम ही गोपाल है कहिए क्या बात है

सेठ जी ने बताया मैं आधे घंटे से आपका इंतजार कर रहा था

यहां से कुछ दूरी पर एक झिलमिल कॉलोनी है वहां बहुत सारी फैक्ट्रियां हैं मैं एक नई फैक्ट्री खोलना चाहता हूं दरवाजे का सामान वर्कों से बनवाना चाहता हूं आजकल शहरों में जगह-जगह बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे बन रही है उनमें लगने वाले ,, दरवाजे और खिड़कियों में कब्जों की बहुत डिमांड है

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मैंने सुना है आपको कब्जे का सारा काम आता है आपको मशीनों का अच्छा अनुभव है मार्केट में आपका बहुत नाम है मैंने सोचा आपसे मिल लेता हूं

आप चाहो तो कल से ही काम शुरू कर सकते हो सैलरी भी आपको ठीक-ठाक मिल जाएगी

सेठ जी ने एक छोटा सा कार्ड बाबूजी को दिया और कार में बैठकर चले गए

यह नजर देख अम्मा बड़ी खुश हुई और कहने लगी देख नेकराम तेरे बाबूजी बूढ़े हो गए हैं लेकिन मार्केट में आज भी इनका नाम चलता है

घर में खुशी का माहौल हो गया बाबूजी कहने लगे नेकराम तू चिंता ना कर तेरी शादी का कर्ज अब मैं जल्द ही चुका दूंगा कल सुबह मुझे समय पर उठा देना

सुबह होते ही बाबूजी झिलमिल कॉलोनी चल पड़े साथ में बाबूजी मुझे भी ले गए

कार्ड पर लिखे पते के अनुसार हमने सेठ जी का कारखाना जल्द ही ढूंढ लिया दरवाजे पर ताला बाहर से लटक रहा था

हमने कुछ देर इंतजार किया थोड़ी देर में वही सेठ जी कार लेकर आ गए

बाबूजी को चाबी देते हुए बोले अब इस कारखाने को चलाने की जिम्मेदारी आपकी है सदर बाजार में मेरी दो दुकाने हैं कच्चा माल इस कारखाने में बनता रहेगा और मैं दुकान पर बैठे-बैठे माल बेचता रहूंगा

मुझे देखकर सेठ जी ने पूछा आपके साथ यह लड़का कौन है तब बाबूजी ने बताया

कारखाना खोलने की इतनी बड़ी जिम्मेदारी है मुझपर इसलिए मैंने सोचा मुझे एक हेल्पर की जरूरत पड़ेगी इसलिए मैं इसे साथ ले आया

इसका नाम जयराम है हमारा पड़ोसी है कल शायद इस लड़के को आपने हमारे घर पर देखा था काफी मेहनती लड़का है

सेठ जी ने कहा चलो ठीक है अब जयराम को भी सैलरी देनी पड़ेगी महीने की वैसे भी कारखाना तैयार होने के बाद मुझे वर्कों की जरूरत भी पड़ेगी

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सेठ जी हमें काम समझा कर चले गए और जाते-जाते बोले मुझे सदर बाजार की दुकान में बैठना है वहां लाखों रुपयो का हिसाब देखना होता है

सेठ जी के जाने के बाद मैंने बाबूजी से कहा आपने मेरा असली परिचय क्यों नहीं दिया तब बाबूजी बोले सेठ जी को लगना चाहिए हम अलग-अलग परिवार से हैं बाकी बातें बाद में होगी काम स्टार्ट करते हैं

कब्जे बनाने के लिए कौन-कौन सी मशीन चाहिए मशीन कहां लगेगी बिजली की फिटिंग कहां पर होगी सारी चीजें एक पर्ची पर लिख दी और दीवारों पर निशान लगा दिए

शाम होते ही पड़ोस के कारखाने का मालिक हमारे पास आया और कहने लगा इस कारखाने के मालिक योगेश जी का सदर बाजार से कॉल आया है लो बात कर लीजिए

बाबूजी ने कॉल में बात सुनी उसके बाद कारखाने का ताला लगाकर चाबी पड़ोस के मालिक को पकड़ाकर हम घर चले

घर में अम्मा बहुत खुश हुई साथ में पत्नी भी एक साथ दो लोगों को नौकरी मिल गई और अपनी किराने की दुकान भी धीरे-धीरे चलती रहेगी दोनों तरफ से पैसा आएगा तो घर में किसी बात की तंगी नहीं रहेगी

रात को खाना खाकर मैं सो गया सोने से पहले मैंने खूब सोचा आखिर बाबूजी ने मेरा असली परिचय सेठ जी से क्यों नहीं करवाया लेकिन मैं इस बात का जिक्र घर पर नहीं करना चाहता था अम्मा परेशान होती और पत्नी भी

10 दिन के भीतर बाबूजी ने बिजली की फिटिंग और नई मशीने तैयार कर दी  सेठ जी को बताया अब हमें वर्कों की जरूरत है जो मशीनों पर बैठ सके जयराम को मैं इस कारखाने का सुपरवाइजर बना रहा हूं

इसलिए इसकी तनख्वाह सब वर्कों से डबल होनी चाहिए

सेठ जी ने बात मान ली और कहा बाहर गेट पर एक तख्ती लटका दो और उसमें लिख दो यहां हेल्परों की जरूरत है पास ही  नंद नगरी कॉलोनी है वहां से हमें बहुत से बेरोजगार मजदूर मिल जाएंगे

हमने तुरंत एक तख्ती कारखाने के बाहर लटका दी और लिख दिया यहां… हेल्परों की जरूरत है..

सारा दिन बीत गया कोई हेल्पर नहीं आया शाम को हम वापस घर चले आए मगर मैं बहुत खुश था पत्नी को बताया मैं कारखाने का सुपरवाइजर बन चुका हूं

पत्नी हंसने लगी फिर कहने लगी अब पता चला बाबूजी तुमसे कितना प्यार करते हैं एक पिता यही चाहता है मेरा बेटा हमेशा मुझसे आगे रहे

और यह बात बाबूजी ने साबित कर दी

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अगले दिन फिर मैं बाबूजी के साथ कारखाने पहुंच गया

एक सुंदर सी महिला दरवाजे के सामने खड़ी हुई थी कहने लगी मुझे काम की आवश्यकता है तब मैंने कहा हमें तो पुरुष चाहिए महिला नहीं

वह गिड़गिड़ाने लगी बाबूजी के हाथ जोड़ने लगी और कहने लगी

मेरे छोटे-छोटे दो बच्चे हैं पति का कई दिनों से काम बंद है एक मां अपने बच्चों को भूखा कैसे देख सकती है

तब बाबूजी बोले यहां इस कारखाने में तो सब मशीनों वाला काम है वजन भी उठाना पड़ता है हमें तो पुरुष वर्कों की तलाश है

यह सुनकर उस महिला का चेहरा उदास हो गया और वह आगे की ओर चली गई

उस दिन भी हमें कोई पुरुष वर्कर नहीं मिला

बाबूजी भी चिंतित थे कि काम शुरू कैसे हो क्योंकि सेठ जी ने कहा था

₹3000 से  अधिक सैलरी नहीं दे पाएंगे हम वर्कों को

इसलिए कोई भी पुरुष वर्ग काम करने को राजी नहीं हो रहा था

बाबूजी ने मुझे बताया नेकराम तख्ती पर लिख दे महिला हेल्परों की जरूरत है

बाबूजी के कहे अनुसार मैंने तख्ती लटका दी और हम कारखाने के भीतर बैठ गए महिला वर्कों की प्रतीक्षा करने लगे

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई मैंने दौड़कर दरवाजा खोला तो कल वाली महिला खड़ी हुई थी मैंने तुरंत कहा अब आप हमारे यहां नौकरी कर सकती हो

सैलरी ₹3000 मिलेगी

महिला की खुशी का ठिकाना नहीं था उसके चेहरे पर चमक थी

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उस महिला ने अपना नाम विनीता बताया और कहा यही पास में नंद नगरी कॉलोनी है मैं वहीं से आई हूं वहां हमारा अपना मकान है

तब बाबूजी ने विनीता से कहा हमें और भी महिला हेल्परों की जरूरत है क्या तुम ला सकती हो

क्योंकि आप अकेली हो और हम अकेली महिला को नौकरी पर नहीं रख सकते

आप कल इसी समय आ जाना साथ में चार महिलाओं को और ले आना

वह महिला चली गई उसके जाने के बाद बाबूजी बोले मुझे पूरा यकीन है यह अपने साथ कुछ और महिलाओं को जरूर साथ में लाएगी क्योंकि इसे नौकरी की सख्त जरूरत है अब अपना काम आसान हो जाएगा

तब मैं बाबूजी से बोला सेठ जी ने तो कहा था पुरुष हेल्पर रखने हैं और आप महिला  हेल्पर रख रहे हो इस बात की खबर सेठ जी को लगेगी तो क्या सेठ जी इस बात से सहमत होंगे

तब बाबूजी ने बताया देख नेकराम तू बिल्कुल भी चिंता ना कर सेठ जी को आने दे मैं सब समझा दूंगा

इत्तेफाक से सेठ जी भी आ गए कहने लगे दो दिन हो गए तुम्हें अभी तक कोई हेल्पर नहीं मिला ऐसे मेरा कारखाना कैसे चलेगा

तब बाबूजी बोले आप वर्कों को सैलरी बहुत कम देना चाहते हो इसलिए मैंने महिला हेल्परों की तख्ती लटका दी है

कल से ही मैं आपका काम शुरू करवा देता हूं

सेठ जी महिला का नाम सुनकर बोले इस कारखाने का भारी-भारी लोहा महिला कैसे उठाएंगी मशीने कैसे चलायेंगी ट्रक में माल की पेटियां भी लोड करनी पड़ती है

तब बाबूजी गुस्से से बोले मेरा काम मशीनों को बनाना है मैंने मशीने बनाकर तैयार कर दी है वर्कर तुम ले आओ मैं आज से काम शुरू करवा देता हूं

तब सेठ जी शांत हो गए और बोले ठीक है जो तुम्हारे मन में आए करो लेकिन मेरा कारखाना चलाओ

सेठ जी गुस्से में कार लेकर चले गए

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तब मैंने बाबूजी से कहा आपने क्या झमेला पाल लिया …हम किराने की दुकान में बैठते थे खुली हवा लगती थी अब चार दीवारों में कैद होकर हम एक दूसरे का मुंह तांकते रहते हैं पता नहीं वह विनीता नाम की महिला अपने साथ कुछ और महिलाओं को लाएंगी या नहीं

तब बाबूजी बोले मैंने कसम खाई है इस कारखाने को चलाकर ही दम लूंगा तेरी नौकरी यहां पर पक्की है … तू चिंता ना कर तेरी शादी हो गई है तुझे भी तो नौकरी चाहिए

मैं सब समझ रहा था बाबूजी मेरे लिए कितना कुछ कर रहे हैं मशीनों को चलाने के लिए हेल्पर कहां से लाए सेठ जी ज्यादा सैलरी देने को तैयार नहीं ..था.

अगली सुबह मैं बाबूजी के साथ जल्दी-जल्दी कारखाने की तरफ चला जा रहा था बाबूजी कहने लगे तू चिंता ना कर विनीता अवश्य आएगी और अपने साथ और महिलाओं को लेकर आएगी क्योंकि महिलाएं घर की जिम्मेदारी समझती है बच्चों का पेट भरने के लिए छोटे-मोटे काम से शर्म नहीं करती

पति बीमार हो या बच्चे छोटे हो महिलाएं अपना घर चलाने के लिए भारी से भारी वजन भी उठाती है बस उसे एक बार मौका मिलना चाहिए और मैं उन्हें मौका दे रहा हूं

जब हम कारखाने पहुंचे तो वहां पर वह विनीता नाम की महिला खड़ी हुई थी साथ में तीन महिलाएं और खड़ी हुई थी

बाबूजी ने मुझे सब समझा दिया चारों महिलाओं का अच्छे से परिचय ले लेना घर का पता पूछ लेना

अब कारखाने का सुपरवाइजर मैं था इसलिए सारी जिम्मेदारी बाबूजी ने मुझे सौंप दी

एक तरफ मुझे डर भी लग रहा था उनका नाम पता पूछने में लेकिन उन महिलाओं ने खुद अपना परिचय दे दिया

विनीता ने बताया लाल साड़ी पहने हुए जो खड़ी हुई है इनका नाम लक्ष्मी है यह मेरी जेठानी है और यह जो अन्य दो महिला है यह हमारे घर के सामने ही रहती है हमारी पड़ोसन है मैंने इन्हें समझाया नया कारखाना खुल रहा है महिलाओं की जरूरत है बेचारी घर पर लिफाफे बनाया करती थी लिफाफे बनाने के लिए रद्दी अखबार की जरूरत पड़ती है बाजार में जब से पॉलिथीन की डिमांड बड़ी है जब से हमारे लिफाफे कोई नहीं पूछ रहा

घर से हम लोग पहली बार नौकरी के लिए निकली है बड़ी शर्म आ रही है जब मोहल्ले वालों को पता चलेगा कि हम कारखाने में काम करने गई थी ना जाने लोग किस-किस निगाह से हमें देखेंगे हमारे शौहर को तो अभी हमारे यहां आने की खबर नहीं है शाम को जब अपने अपने घर लौटेंगी तब ना जाने क्या आफत आएगी

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लेकिन अब हमने भी ठान लिया है क्या पुरुष ही बाहर काम कर सकते हैं महिलाएं क्यों नहीं पति कमाते नहीं और अगर पति कमाते हैं तो हम पत्नियों पर धौंस जमाते हैं एक एक रूपए के लिए भीख मांगनी पड़ती है गिड़गिड़ाना पड़ता है

मां-बाप तो बेटियों की शादी करके कहते हैं हमने तो हाथ पीले कर दिए अब हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है इतना कहते कहते विनाता कि आंखों से आंसू छलक पड़े और वह फूट-फूट कर रोने लगी

तब बाबूजी बोले अब आप लोगों को काम मिल रहा है आप चिंता मत कीजिए दो पैसे घर आएंगे तो घर के हालात धीरे-धीरे सुधरने लगेंगे

तब बाबूजी  मुझे कोने में ले जाकर बोले बिचारी महिलाएं हैं इनसे वजन का काम मत करवाना

उनका परिचय लेने के बाद बाबूजी ने उन महिलाओं को सारा काम समझा दिया

अभी 2 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे विनीता ने बाबूजी से कहा क्या मुझे 1 घंटे के लिए छुट्टी मिल सकती है मेरे बच्चे का जन्म का प्रमाण पत्र बनवाना है कल स्कूल में जमा करवाना है

तब मैंने कहा अभी तो आपका पहला दिन है आपने अभी से छुट्टी लेनी शुरू कर दी है

तब बाबूजी बीच में बोले जयराम तुम चुप रहो बच्चों के स्कूल का सवाल है …कोई बात नहीं छुट्टी दे दो

तब मैंने कहा ठीक है 1 घंटे बाद वापस लौट आना फिर बाबूजी बोले जहां जन्म का प्रणाम पत्र बनता है वहां मेरी अच्छी जान पहचान है मेरे साथ चलो मैं जल्दी काम करवा दूंगा तुम्हें लाइन में नहीं लगना पड़ेगा

बाहर किसी मजदूर की साइकिल खड़ी थी बाबूजी ने मांगी तो उस मजदूर ने मना नहीं किया और कहा आप सामने वाले कारखाने में हो हमें कोई चिंता नहीं है

बाबूजी ने विनीता से कहा तुम साइकिल के पीछे बैठो और बाबूजी साइकिल चलाते हुए निकल गए

1 घंटे बाद लौट आए विनीता का चेहरा खुशी से भरा हुआ था जो काम कई महीनो से अटका हुआ था वह काम बाबूजी ने 1 घंटे में करवा दिया

वह दिन हमारा बीत गया कच्चा माल भी तैयार होना शुरू हो गया

उन महिलाओं ने बिजली की मशीनें चलाने में जरा भी संकोच नहीं किया बिल्कुल निडर लग रही थी शायद ईमानदारी की नौकरी मिलने की खुशी हर महिला को होती है वह भी सम्मान के साथ जीना चाहती है

शाम को छुट्टी होने के बाद मैं बाबूजी के साथ घर लौट आया

अगली सुबह मैं बाबूजी के साथ फिर कारखाने पहुंचा

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सुबह के 9:00 बज चुके थे तभी बाबूजी बोले जयराम में बीड़ी का बंडल लेने जा रहा हूं और एक कप चाय पीकर आऊंगा बाहर नुक्कड़ की दुकान से

..तब तक इस कारखाने का थोड़ा ध्यान रखना..

बाबूजी के जाने के बाद मैंने कारखाने का दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया

कुछ मिनट बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई जोर-जोर से कोई दरवाजा खटखटा रहा था मैं तेज कदमों से दौड़ता हुआ दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ा और सोचने लगा बाबूजी इतनी जल्दी चाय पीकर आ गए और दरवाजा जोर जोर से क्यों खटखटा रहे हैं

दरवाजा जैसे ही खोला तो एक शराबी खड़ा हुआ था मुंह से बदबू आ रही थी वह चिल्लाते हुए बोला कहां है वह बुड्ढा जो मेरी बीवी को अपनी साइकिल में बिठाकर घूमा रहा था ..

आज उसका सर फोड़ दूंगा ..

मैंने शांति से और धीमे स्वर में कहा आपका गुस्सा जायज है किसी कि  बीवी को कोई अपनी साइकिल में बिठाकर घुमाए तो पति को बुरा लगेगा ही

इतने में बाबूजी भी चाय पीकर आ गए और साथ में चाय और बिस्किट भी ले आए उस शराबी ने पूछा यह कौन है

तब मैंने कहा यह इस कारखाने के मिस्त्री है मशीनों के खराब पुर्जे ठीक करते हैं

बाबूजी ने मुझे चाय पकड़ाते हुए कहा सब महिलाओं को चाय पिला दो और साथ में बिस्किट भी

बाबूजी आरी लेकर एक लोहा काटने लगे …

सभी महिलाओं ने अपनी मशीने बंद कर दी अब तक मैंने कप  में चाय डाल दी

विनीता चाय पीते हुए बोली यह मेरे पति है इनका नाम पप्पू है… रात को कह रहे थे कल मैं तेरे कारखाने में आऊंगा छानबीन करने के लिए तू वहां पर क्या करती है

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तब मैंने कहा बिल्कुल … आप विनीता के पति हैं आपका पूरा हक है यह जानने के लिए मैं उन्हें सारी मशीनों के बारे में बताने लगा तब पप्पू ने कहा क्या मुझे यहां काम मिल सकता है

मुझे तो पुरुषों की तलाश थी मैंने तुरंत हां कर दी मैंने कहा आप आज से ही काम शुरू कर सकते हो पप्पू ने कहा अभी तो मैंने नशा किया हुआ है

तब मैंने कहा कोई बात नहीं आप कुर्सी पर बैठे रहिए आपको आज की दिहाड़ी जरूर मिलेगी मैंने आपका रजिस्टर में नाम लिख दिया है

आज से आपकी नौकरी पक्की महीने की₹3000 सैलरी आपको मिलेगी

पप्पू सारा दिन अपनी पत्नी विनीता को मशीन पर काम करते हुए देखता रहा पति और पत्नी का प्यार देखकर मैं कुछ कह नहीं पा रहा था बाबूजी चुपचाप लोहा काट रहे थे

मैं मन ही मन बार-बार सोच रहा था घर की मजबूरी समझ कर जब कोई महिला घर से बाहर कदम रखती है नौकरी के लिए तो पतियों को अक्सर गलतफहमी क्यों हो जाती है

15 दिन बीतने के बाद मैंने पप्पू से पूछा क्या तुम्हें उस बुड्ढे की तलाश नहीं है जो आपकी पत्नी को साइकिल में बिठाकर घूमा रहा था

तब पप्पू ने मुझे अकेले में बताया मुझे मेरी पत्नी विनीता ने सब बता दिया है लेकिन यहां पर आकर मुझे पता चला इस कारखाने के मिस्त्री तो बहुत अच्छे हैं शांत स्वभाव के हैं सिर्फ अपने काम से मतलब रखते हैं

मुझे तो मोहल्ले वालों ने भड़का दिया था कहते थे तेरी बीवी किसी के साथ घूमने लगी है नौकरी का तो एक बहाना है

लेकिन यहां आकर पता चला ऐसा कुछ भी नहीं है यहां तो एक पिता और बेटी का रिश्ता है मेरी आंखें खुल चुकी है वरना मैं भी हो चुका था गलतफहमी का शिकार

तब मैंने पप्पू को समझाया आपकी पत्नी बहुत मेहनती है और आप भी बहुत मेहनती हो मैं इस कारखाने के मालिक से कहकर आप सभी लोगों की सैलरी बढ़वाने के लिए पूरा प्रयास करूंगा 

मैंने सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव सेठ जी के सामने रखा उन्होंने मंजूरी दे दी क्योंकि बाबूजी ने उनका कारखाना चलवाने में कोई कसर न छोड़ी

फिर मिलते हैं अगली बार एक और नई सामाजिक कहानी के साथ तब तक के लिए दीजिए इजाजत खुश रहिए और गलतफहमियों को दूर करते रहिए

लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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