प्रेम के रिश्ते- शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Post View 6,068 माधवी आज समझ पाई थी कि जिस आत्मिक सुख के लिए जीवन भर भटकती रही वह,वह तो मृग मरीचिका से ज्यादा कुछ भी नहीं था।रिश्तों की बोलियों में घरों को बिकते देखा है उसने।हर‌ रिश्ते में छिपा होता है स्वार्थ।पाने और देने की परंपरा निभाई जा रही है रिश्तों में।एक दूसरे को … Continue reading प्रेम के रिश्ते- शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi