परख भाग 2 – माता प्रसाद दुबे : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

कौशल्या देवी सोफे पर गीता और अविनाश को बैठने का इशारा करते हुए बोली।”अम्मा! यह गीता है” अविनाश कौशल्या देवी का हाथ पकड़ते हुए बोला। कौशल्या देवी की नजरें गीता को गौर से देख रही थी..गोरी चिट्टी देखने में सुंदर दिखने वाली गीता के शरीर पर कम कपड़े खुले बाल उसे पसंद नहीं आ रहें थे 

फिर भी वह इन सब बातों को नजरंदाज करते हुए गीता से स्नेह दर्शाते हुए उससे बातें करने लगी। कुछ देर तक गीता खामोश रहने के बाद कौशल्या देवी से खुलकर बातें करने लगी..वह अपने और अविनाश के रिश्ते के बारे में कौशल्या देवी को बताने लगी.. 

कौशल्या देवी ने जब उससे उसके घर परिवार के बारे में पूछा तो वह बेहिचक बोली।”मम्मी! मेरे पापा! मम्मी! और एक छोटा भाई है जो बाहर रहकर पढ़ाई कर रहा है,घर के सभी फैसले मैं ही लेती हूं,मेरे पापा मुझपर किसी भी प्रकार की बंदिश नहीं लगाते है” गीता बिना रूके एक ही सांस में बोले जा रही थी। अविनाश चुपचाप बैठा हुआ था..माया मौसी चुपचाप खड़ी एक टक गीता की ओर देख रही थी। 

कौशल्या देवी ने माया को चाय नाश्ता लाने के लिए कहा वह किचन की तरफ चली गई। कुछ ही देर में माया चाय नाश्ता लेकर आ गई गीता नाश्ता करते हुए अविनाश से बोली।”क्या आप मुझे अपना घर नहीं दिखाएंगे?” गीता की ओर देखकर अविनाश ने सिर हिलाते हुए बोला “क्यूं नहीं दिखाऊंगा” गीता अविनाश का घर देखने के लिए उठकर खड़ी हो गई।”दीदी आठ बज रहे है,

चलिए पूजा का समय हो गया है”माया कौशल्या देवी की ओर देखते हुए बोली।”अरे मैं तो भूल ही गई थी?”कौशल्या देवी सोफे से उठते हुए बोली।”ठीक है मम्मी!आप पूजा करिए तब तक मैं अविनाश के साथ अपना घर देखती हूं” गीता ढीटता दर्शाते हुए बोली।”ठीक है बेटी! आजकल के बच्चों को पूजा पाठ में कोई दिलचस्पी नहीं होती है ” माया देवी चिन्तित होते हुए बोली। अविनाश गीता को अपना घर दिखाने लगा कौशल्या देवी चुपचाप माया के साथ घर में बने मन्दिर की ओर चली गई।

 

रात के नौ बज रहे थे,घर के ऊपर  छत से गीता की जोरदार ठहाके की आवाज आ रही थी.. अविनाश गीता को कुछ समझा रहा था मगर गीता कहा मानने वाली थी..वह उसे परेशान देखकर मुस्कुरा रही थी। “अविनाश बेटा! कौशल्या देवी अविनाश को पुकारते हुए बोली।

“अभी आया अम्मा! कहते हुए अविनाश गीता के साथ छत से नीचे पहुंच चुका था।”बेटा! रात के नौ बज रहे है,तुम गीता बेटी को उसके घर छोड़ दो” जी अम्मा! अविनाश घड़ी की ओर देखते हुए बोला।”अच्छा मम्मी!अब मैं चलती हूं,आप बहुत अच्छी है” गीता कौशल्या देवी से विदा लेते हुए बोली।”संभल कर जाना बेटा! कौशल्या देवी अविनाश को निर्देश देते हुए बोली। कुछ ही देर में अविनाश गीता के साथ कमरे से बाहर निकल गया।

कौशल्या देवी एकटक माया की ओर देख रही थी “क्या हुआ दीदी?”माया कौशल्या देवी को चिन्तित देखकर बोली।”माया तुझे यह लड़की कैसी लगी?”कौशल्या देवी माया के मन को टटोलते हुए बोली।”हम क्या कहें दीदी! मुझे तो इस लड़की पर संदेह हो रहा है?

” माया सकुचाते हुए बोली।”तुम ठीक कह रही हो माया, मुझे अपने बेटे के लिए एक सुंदर संस्कारी सुशील कन्या चाहिए थी,जो अविनाश के पिता का बनाया हुआ यह आलीशान घर संभालने के लायक हो,यह लड़की तो काफी खुले दिमाग की संस्कारों से हीन लगती है,

 मैंने उसे अच्छी तरह परख लिया है, उसके अंदर अपने से बड़ों का सम्मान भी नहीं है, मेरे पैरों को न छूकर उसने घुठनो को छुआ, पूजा का नाम सुनते ही वह दूर हो गई” कहते हुए कौशल्या देवी खामोश हो गई।”दीदी आप बिल्कुल ठीक कह रही है,मुझे तो लगता है कि इसने हमारे लल्ला (अविनाश)को सोच समझ कर अपने प्रेम जाल में फंसाया है?”माया गुस्साते हुए बोली।

“माया मैं अपने अविनाश को दुखी नहीं देख सकती आखिर मेरा एक ही तो बेटा है,वह भी अपनी अम्मा को बहुत प्यार करता है,वह मुझे दुखी नहीं देख सकता आखिर मैं कैसे उसे समझाऊ कि यह लड़की उसके जैसे लड़के के लिए नहीं है,वह तो काफी दिनों से इसके मोहपाश में कैद है, इसलिए हर बार शादी की बात पर वह मुझसे आनाकानी करता था?” कौशल्या देवी उदास होते हुए बोली।

“दीदी आपको ही कुछ करना पड़ेगा लल्ला को इस लड़की से बचाने के लिए” माया कौशल्या देवी को समझाते हुए बोली।”हा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वरना यह घर जो एक मन्दिर की तरह है,वह नष्ट हो जाएगा,मेरे बेटे का जीवन बर्बाद हो जायेगा ” कौशल्या देवी सख्त लहजे में बोली। कौशल्या देवी ने गीता के बारे में जानकारी प्राप्त करके उसकी मंशा को समझकर अपने बेटे को उसके जाल से आजाद कराने का दृढ़ निश्चय कर लिया था।

परख भाग 3

परख भाग 3 – माता प्रसाद दुबे : Moral stories in hindi

परख भाग 1

परख – माता प्रसाद दुबे : Moral stories in hindi

स्वरचित

माता प्रसाद दुबे

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