Moral stories in hindi : गीता रोज की तरह आज भी अविनाश का इंतजार कर रही थी..उसकी और अविनाश की नजदीकियां हुए एक वर्ष बीत चुका था..शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जिस दिन वह एक दूसरे से ना मिलते हो,अविनाश शाम को अपने आफिस से निकलने के बाद गीता से मिलने के बाद ही अपने घर जाता था..घर में उसकी मां कौशल्या देवी के सिवा और कोई नहीं था, बड़ी बहन पायल की शादी हो चुकी थी..
अविनाश के पिता का दशकों पहले देहांत हो चुका था,उसकी मां कौशल्या देवी ने अनगिनत मुसीबतों का सामना करते हुए अविनाश और पायल की जीवन की सभी कठिनाईयों को दूर करके उन्हें सुखमय जीवन प्रदान किया था..अविनाश सरकारी विभाग में उच्च पद पर कार्यरत था..
पायल की शादी सुशिक्षित संस्कारवान परिवार में हुई थी उसका जीवन खुशियों से परिपूर्ण था..कौशल्या देवी अविनाश की जल्द शादी करके घर में बहू लाने के लिए बेचैन रहती थी,उसने अविनाश के लिए दूर के रिश्ते की अपनी एक बहन की लड़की को अविनाश के लिए पसंद भी कर लिया था..
मगर अविनाश गीता से प्रेम करता था, जिसकी वजह से वह शादी की बात को लेकर अपनी मां कौशल्या देवी को पिछले छह महीनों से किसी न किसी बहाने से कुछ दिन और शादी ना करने की बात कहकर टाल देता था। अविनाश सही समय देखकर गीता को अपनी मां कौशल्या देवी से मिलवाने का लिए प्रयत्न कर रहा था।
“आज फिर आप देर से आए है, शायद आप यह भूल जाते है कि कोई आपके आने का बेसब्री से इंतजार करता है?”गीता अविनाश को देखकर मुंह सिकोड़ते हुए बोली।
“गीता! तुम्हारी नाराजगी जायज है, वैसे भी आजकल मां मेरी शादी के लिए रोज बातें करती है, उसने तो एक लड़की देख भी लिया है”अविनाश मुस्कुराते हुए बोला।”क्या कहा तुमने मैं कुछ समझी नहीं,अगर तुमने किसी और से शादी किया तो यह समझ लो वह दिन मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होगा?”गीता गुस्से से लाल होकर अविनाश की आंखों से आंखें मिलाती हुई बोली।”
इसलिए तो आज मैं तुम्हें मां से मिलवाने ले चल रहा हूं, पहले तुम अपने घर चलकर तैयार हो जाओ मैं तुम्हारे पापा को बता दूंगा” अविनाश गीता के करीब आते हुए बोला।”आप पापा की चिंता मत करें,वह वहीं करते है जो मैं कहती हूं ” गीता अविनाश को समझाते हुए बोली।
“मगर कपड़े तो बदल लो घर चलकर?” अविनाश हैरान होते हुए बोला।”अरे यार कपड़ों को क्या हुआ ठीक ही तो है ” गीता अपने अधखुले शरीर को देखते हुए बोली।”गीता!मेरी मां पूजा पाठ करने वाली संस्कारों को सर्वोपरि मानने वाली महिला हैं कही वह तुम्हारे ऐसे कपड़े देखकर कुछ गलत ना समझ बैठे?”अविनाश चिन्तित होते हुए बोला।
“कुछ नहीं समझेंगी आप बेकार में डर रहे है,वह आपसे बेहद प्यार करती है,ऐसे कपड़े तो हर लड़की पहनती हैं ” गीता मुंह सिकोड़ते हुए बोली।”चलों ठीक है, आगे फिर मुझे कुछ मत कहना?” अविनाश गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए बोला।
“नहीं कहूंगी ” गीता कार की अगली सीट पर बैठते हुए बोली। अविनाश मुस्कुराते हुए गाड़ी स्टार्ट करके गीता के साथ अपने घर की ओर निकल गया।
गीता को अविनाश के घर की सभी जानकारी थी,एक वर्ष से वह अविनाश के करीब थी..उसे अविनाश ने अपनी मां कौशल्या देवी व घर में उनका हाथ बंटाने वाली माया मौसी (नौकरानी) के बारे में बताया था।
अविनाश गीता को लेकर अपने घर पर पहुंच चुका था। मुख्य द्वार पर खड़ी माया मौसी अविनाश के साथ किसी लड़की को आता देखकर मुस्कुराती हुई घर के अंदर चली गई। अविनाश गीता को लेकर घर के अंदर पहुंच चुका था.. सामने कौशल्या देवी को सोफे में बैठा देखकर अविनाश ने गीता को उनके चरण स्पर्श करने का इशारा किया..गीता ने झुक कर कौशल्या देवी के चरण के बजाय दोनों घुटनों को स्पर्श किए,”खुश रहो बेटी “
परख भाग 2
स्वरचित
माता प्रसाद दुबे