नियति का न्याय – डॉ. पारुल अग्रवाल
आज अपराजिता को उसके ही नाम पर लिखी पुस्तक की एक समाचार पत्र में काफी प्रशंसा पढ़ने को मिली। जिसे पढ़कर वो अपने आप को नहीं रोक पाई, उसने तुरंत अमेजन से पुस्तक को डाउनलोड किया और रात के खाने के बाद पढ़ने बैठ गई। लिखा तो उस पुस्तक को किसी अज्ञात लेखक ने था … Read more