” अन्याय में न्याय की जीत ” – गोमती सिंह

वह कुशाग्र बुद्धि की लड़की थी, अध्ययन में उसकी अत्यधिक रूचि थी।  उच्चतर माध्यमिक की पढ़ाई के समय से ही वह विज्ञान विषय पर विद्या अध्ययन कर रही थी । कक्षा बारहवीं की परीक्षा उसने 80% अंक से उत्तीर्ण किया । अब उसकी जिंदगी का सबसे अहम फैसला लेने का समय आ गया था , … Read more

नफरत –  अंतरा

शहर में एक बहुत खूबसूरत ऊँची सी इमारत थी …इतनी  ऊंची के निगाह उठा कर देखो तो सर  की टोपी जमीन पर गिर जाए…. इतनी खूबसूरत कि एक बार में खूबसूरती निगाह में ना भर पाए…. जब रात में उस में रोशनी होती थी तो आंखें  चौंधिया जाती थी ।  इतनी खूबसूरती के बाद भी … Read more

*जीवन के खेल* –  मुकुन्द लाल

अपने गांव के बाहर से गुजरने वाली रेलवे लाइन से हटकर कुछ दूरी पर स्थित चबूतरे पर बैठा सुदीप ट्रेन का इंतजार कर रहा था। अवसाद और क्षोभ की लकीरें उसके चेहरे पर साफ दिखलाई पड़ रही थी।  प्रचंड धूप की तपिश के कारण चतुर्दिक सन्नाटा छाया हुआ था। दो बजने वाले थे किन्तु एक … Read more

*नीयत* –  मुकुन्द लाल

 ‘राम नाम सत्य है’ कहता हुआ कंँधों पर अर्थी उठाये कुछ लोगों का झुंड अचानक श्मशान घाट जाने वाले मार्ग पर न जाकर उस बाजार के एक व्यवसायी की दुकान के पास ठहर गया तो दुकानदारों को हैरत का ठिकाना नहीं रहा।  लोग इस अजीब कारनामों को देखने के लिए वहांँ पर इकट्ठे होने लगे, … Read more

जन्मदिन – संजय मृदुल

कल रक्षा का जन्मदिन था। छोटी बच्ची ही तो है अभी छह साल की। उसे क्या समझ की माहौल खराब चल रहा है, महामारी फैली हुई है, लॉक डाउन है। उसे तो बस अपने जन्मदिन से मतलब और उसकी पार्टी से। महीने भर से प्लानिंग कर रही है वो।    दो तीन दिन से तो जिद … Read more

मै अन्याय नहीं सहूंगी। – अर्चना खंडेलवाल 

गलती इंसान के जीवन का एक हिस्सा है, और मुझसे भी गलती हो गई, ये गलती मैंने तो नहीं की थी, कहते हैं समय हर घाव भर देता है पर निशान तो रह ही जाते हैं, पिछले महीनों हुई घटनाएं रोली के दिमाग में घुमने लगी। जब वो कॉलेज में नई थी तो कॉलेज देखकर … Read more

“अन्याय के विरोध में न बोलना क्या न्याय है???? – अमिता कुचया

नंदिनी बहुत ही प्रतिभाशाली लड़की है, उसे कोई भी काम करने में झिझक नहीं होती।वह बहुत ही खुश होकर हर काम मायके में भाभी के साथ करातीं थी।उसे नहीं लगता था कि भाभी को पूरा श्रेय जाएगा•••• उसकी ऐसी सोच नहीं थी।वह हमेशा हर काम में चाहे किचन का हो या ऊपरी•••सब काम में आगे … Read more

अब घर की “दूसरी बेटी” के साथ अन्याय नहीं होगा !! – मीनू झा 

मेरे लिए रूचि को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था…एक तो जो चल रहा था उसकी चिंता और घबराहट दूसरी “रूचि” और उसकी उटपटांग हरकतें। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं क्या नहीं।कभी रोने का मन करता तो कभी चिल्लाने का।कभी मानवीयता हावी होती तो कभी खिजलाहट। दरअसल मैं हाॅस्टल में थी … Read more

यह कैसा अन्याय! – गीता चौबे “गूँज”

       युद्ध की भयावहता सिर्फ मैदाने जंग में ही नहीं होती, वरन् आम जीवन में भी जिंदगी और मौत के संघर्ष में जब मौत का पलड़ा भारी होने लगे और आँखों के सामने जिंदगी की साँसें थमने लगे तो मौत की अनुभूति का खौफ किसी युद्ध से कम नहीं होता। अंतिम परिणति मौत का साम्राज्य … Read more

बेटी ही रहने दो – गीता चौबे “गूँज”

         फोन का रिसीवर रखने के बाद रजनी के मन में अपनी बिटिया रंजीता के आखिरी शब्द बहुत देर तक गूँजते रहे…  ‘बेटी को बेटी ही रहने दो, उसे बेटा मत बनाओ…’   रजनी अवाक रह गयी और गहराई से सोचने लगी कि उससे चूक कहाँ हुई। इतना आक्रोश कैसे भर गया उसकी बेटी के मन में। … Read more

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