अन्याय का पर्दाफाश – लतिका श्रीवास्तव

रिजल्ट शीट पर साइन करने के लिए पेन उठाया ही था कि एक नाम पर नजर जम गई कीर्ति बाला…सप्लीमेंट्री दो विषयो में….!! कीर्तिबाला..!!…पिछले वर्ष तो ये स्कूल टॉपर थी !!वार्षिकोत्सव में माननीय विधायक जी के हाथों ट्रॉफी प्राप्त की थी इसने..!!रंजना जी को वो दिन बखूबी याद आ गया था…!क्या ये वही लड़की है … Read more

क्या औरत आज भी आज़ाद है – संगीता अग्रवाल

” नमस्ते भाभी कैसी है आप ?” बाजार में अचानक एक परिचित आवाज सुन मैं रुक गई मुड़ कर देखा तो अपने पुराने मोहल्ले में रहने वाली रति थी। ” अरे रति तू कैसी है तू और ये क्या तूने शादी कर ली !” मैंने आश्चर्य से उसकी मांग में भरे सिंदूर को देख कर … Read more

‘ सर्दी का मौसम और बुनाई ‘ – -विभा गुप्ता

    कड़कती सर्दी में ठिठुरते हुए अचानक मुझे वो दिन याद आ गये, जब बुनाई हर घर का अपना एक निजी व्यवसाय हुआ करता था।व्यवसाय इसलिए क्योंकि गृहिणियाँ ननद-देवरों के साथ-साथ चचेरे-ममेरे भाई-भतीजों और भतीजियों के लिए भी स्वेटर बनाने का अपना पारिवारिक धर्म समझती थीं।मैं छह-सात बरस की रही होगी,जब घर में बुआजी को बुनाई … Read more

मर्दानी – नीरजा कृष्णा

“ये तुम्हारी आवाज़ को क्या होता जा रहा है…एकदम मर्दानी आवाज़ हो गई है। सुबह सुबह दहाड़ना चालू हो जाता है। थोडा़ सा स्त्रियोचित व्यवहार भी कर लिया करो।” मोनिका पतिदेव का कमेंट सुनकर सन्न रह गई। धीरे से बोली, “क्या करूॅं…सर्दी में सब नौकर चाकरों के कान ठप्प हो जाते हैं। धीमे बोलने से … Read more

सीसीटीवी कैमरा – नीरजा कृष्णा

सुहानी और अंकुर कार से जयपुर जा रहे थे। रास्ते में एक ढाबे में चायपानी के लिए रुके… फिर जल्दी जल्दी पेमेंट करके गंतव्य की ओर बढ़ने लगे…. वहाँ सुहानी की बहन की गोदभराई का कार्यक्रम होना था। “अरे सुनो, गाड़ी इतनी तेज मत चलाओ। दिल एकदम धकधक करने लगता है… थोड़ा लेट ही होंगे … Read more

अन्याय आखिर कब तक सहेंगे ? – बेला पुनिवाला 

  ( सतीश ने अपनी पत्नी सुधा को गुस्से में अचानक से ही बड़े ज़ोर से आवाज़ लगाई। ) सतीश : सुधा, कहाँ हो तुम जल्दी से बाहर आओ।       ( सुधा सतीश की आवाज़ सुनते ही रसोई का सारा काम छोड़ डरती हुई भागी-भागी रसोई से बाहर आती है। )    सुधा ने कहा, ” क्या हुआ … Read more

जेठानी जी के मायके वालों के सामने मेरे मायके वालों का अपमान क्यों – गीतू महाजन

सुधा जी के घर आज सुबह से ही चहल-पहल थी।दिवाली पास आने वाली थी तो घर की सफाई में वह एक महीना पहले से ही दोनों बहुओं के साथ जुट चुकी थी।आज की चहल-पहल का मुख्य कारण तो उनकी बड़ी बहू मनीषा के मायके वालों का आना था। मनीषा के मायके से उसके भाई भाभी … Read more

 न्याय की गुहार  – पुष्पा जोशी

आज पूरे ३६ घंटे के बाद रोमा की चेतना लौटी।दो दिन के पहले घटी घटना से वह पूरी तरह दहल गई थी। उसकी आँखों में आँसू नहीं थे, मगर वह कुछ सोच नहीं पा रही थी, उसे लग रहा था कि एक शून्य उसके अंदर समाता जा रहा है, और वह किसी गहन अंधेरे में … Read more

बस,अब और अन्याय नहीं सहूँगी… – शाहीन खान 

स्कूल में सर्दियों की छुट्टियाँ हो गई थीं, सभी साथी टीचर्स को बाय कह विभा घर जाने के लिए अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी| ठंडी हवा से बचने के लिए अपने स्टॉल को कानों पर लपेट लिया था, पर फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे ठंडी हवा कानों में घुसी जा रही है| चलो … Read more

“मैं आखिर अन्याय क्यों सहूं!!” – अमिता कुचया

  आज उमा जी घर में अकेली थी।घर में बहू बेटे को बाहर जाना था।तो बहू नीरजा ने कहा -“मम्मी जी आज हम दोनों को बाहर जाना है, इसलिए खाना दोनों टाइम का बना दिया है,आप खा लेना।हम लोग रात में देर से आएंगे।” तभी उमा जी ने कहा -“बहू तुम लोग मुझे हमेशा छोड़ … Read more

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